संसद मां विधेयक पास होंद त ये कलंक से कारगर ढंग सि निपट्ये जै सक्येंद

गजेंद्र नौटियाल, देहरादून।

बजार कि हमेषा परिभाषा रै कि यनि जगा जख खरीददार अर ब्यचदारु पैसौं लगैक सामान या सेवा थैं खरीददो या बेचदु चा या यनु समझा कि बाजार थैं ब्यचदारु अर खरीददार चलौंदिन। बाजार चलौंण वाळो हमेशा यनि चीज या सेवा पर पैसा लगौंदा जैमा पैसा त कम लगो पर मुनाफो जरा डमडमो हो अर यांक थैं वो कये विकल्प खोजदो। एक हौर बात या समझंणि चैंदि कि जब तक मांग रैंदि तबि तक सपलै बि होंदि रैंदि। अब हम जै बाजार कि बात कना छंवां वो मनख्यों का ब्योपार की बात अजीब लगि सकदिन आजका जमाना मं पर यांक थैं तस्करि बोलि त जैकि इजाजत कानून त नि देंदो पर वै को ब्योपार गोरु-भैंसौं जन आज भी होंद! यो ब्योपार अनैतिक चा ज्वा देह ब्योपार , बच्चों कि नांगि फिल्म बणौंणां क, बच्चों सि गुलामि करौंण, मजदुरी करौंण या वों थैं मारिक, वों का अंग ब्यचंण का वास्ता कर्ये जांद। 150-200 साल पैलि तक मनख्यों की तस्करि या ब्योपार दुनियां का कये समाज मं खुल्लमखुला होंद थयों पर आज जै सभ्य समाज म ंहम रैंणा छां वै मं मनख्यों को ब्योपार भले लुकि छुपी होंणु चा पर छा बड़ा निरदैता का साथ होंणु चा। कानून कि किताब्यों मं यो अनैतिक ब्योपार ‘‘मानव तस्करी’’ या ‘‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग’’ का नौ सि जांण्ये जांद।
ये लेख मं मैं कोशिश कनु कि मनख्यों का ये अवैध ब्योपार पर आप जांणकारी पै सकुन अर ये परैं रोक लगौंण मं मदद करि सकुन। यो ब्योपार बच्चों का अलावा जनानौं, मंणस्यरु की सौदाबाजि थैं बाजार कि मांग कि आपुर्ति दिन रात करदो त समझा यनु बजार आपन कबि देखि सुंणि नि होलु ये वास्ता यो खतरनाक चा अर कै दगड़ि भी ये ब्योपार का ब्योपारि कुछ बि करि सकदिन, कबि भि कुछ कै सकदिन ! ये वास्ता सब्यों थैं यो जांण्नो जरुरि ह्वै जांद कि हम ये ब्योपार की मांग अर सप्लै को खेल थैं समझां।
यो मनख्यों कि तस्करि को ब्योपार, बाजार से चलदो ज्वा लुकि-छुपी चल्दो पर वैकि भारि मांग चा। खरीद-ब्यचंणौं की ज्वा अर्थशास्त्र्ा कि परिभाषा चा वै मं ‘‘मांग’’ को मतलब ‘‘कै खास चीज, कै मेनत, कै कि सेवा पौंण कि सबसि पैलि इच्छा’’ होंदि(प्स्व्2006रू15)। ये बड़ि विचित्र बात चा अर दुर्भाग्य कि बात बि चा कि मानव अधिकार अर शिक्षा का क्षेत्र मं भौत प्रगति कन्ना का बाद बि हम अपणा दिमागु थैं नि बदलि सक्यां या बोला पशुता नि छोड़ि सक्यां जैसे मनख्यों कि तस्करि वैकि डिमांड आज पैलि सि कखि ज्यादा बढीग्ये। हमारा देशन अर दुन्यान अपणां मनख्यों का नागरिक अधिकार, सांस्कृतिक, आर्थिक अर राजनैतिक अधिकारौं पर भौत सारा नियम कानून बणैं यालिन यांका बाद बि मनखि से मनखि को शोषण , मनखि को मनखिखौ होंणु बड़ी चिंता को विषय ह्वैग्ये।
ये ब्योपार मं सबसे ज्यादा मांग असाय प्राणि वीं कज्यांणि कि होंदि या बच्चों कि होंदि ज्वा आसनी से मनस्वाग ब्योपार्यों का हाथ लगि सकदिन अर खास करि गरीब इलाका या गरीब देश कि जनानि अर बच्चों कि तस्करि सबसे ज्यादा होंदि। लोग गरीबी-भूखमरि का कारण अपणा बच्चों-जनानौं बेचदन या अपणा चाल मं फंसै, बैलै-फुसलैक वों थैं बेचणां लिजैये जांद। यनु देख्ये गै कि ये मनख्यों का अवैध बाजार मं ये अपराधिक उद्योग मं ब्यचदारु हमेषा मांग कि पूर्ति करदो अर अपणी मांग वै कि खरिददारु पर निर्भर रैंदि ये हिसाब से यि निर्दयी ब्योपारी ज्यूंदा मनख्यों थैं जानबरु जना बेचिक भौत बड़ो मुनाफु कमौदिन।
‘‘आधुनिक दासता के वैश्विक अनुमान. जबरन श्रम और जबरन विवाह’’ विश्व श्रम संगठन कि रिपोर्ट 2016 मं सांमणि आये कि वै साल मं 30.80 लाख ज्वान लोग जबरदस्ती देह ब्योपार मं था लग्यां था जैमां ज्वान नौनि अर जनाना 99 प्रतिशत था अर मनस्यारु 1 प्रतिशत। यीं रिपोर्ट मं यु बि बताये गै कि 10 लाख बच्चा भी देहब्योपार मं जबरदस्ती लगये गै था। 2019 मं हमारा देश का अपराध रिकार्ड ब्यूरो कि रिपोर्ट मं बताये गै कि देश मं 6616 मानव तस्करि का मामला समणि ऐन जैमा 2914 बच्चों की तस्करि का मामला थया अर यीयें रिपोर्ट मं खुलासा थयो कि 2080 मामलौं मं मनख्यों कि तस्करि देह ब्योपार, यौन ब्योपार अर 1141 मामलौं मं जबरन मजदूरी करौंणां थैं तस्करि कर्ये गै थयी। जन कि बतैये गै कि मनख्यों कि तस्करि का मामला इलै पुलिस मं नि लखैये जांदिन कि लोग सरम-लाज, लोक जाज सि घिच्चु मुंजि रखदा या परिवार ही बच्चौं महिलौं थैं यों ब्योपार्यों थैं बेचदिन या क्वै बच्चा-महिला हरचि जांदि या भागि जांदिन अर यों तस्करौं का पल्ला पड़ि जांदिन।
अब आजा जमाना मं यों मनस्वाग ब्योपार्यों थैं नयों तरिका मिलिगे इंटरनेट तकनीकि को जैसे जनानौं अर बच्चौं को यौन शोषण का नया नयां तरिका सामणि औंणा छिन अर ये सि मानव तस्करि बढणि चा। कुंवारि कन्या दगड़ि ब्यो कन्न कि अभिलाषा पैल्ये बिटि हमारा समाज मं रै पर सामाजिक कलंक अर सब्य समाज दिख्येण कि लालसा मं अब ऐंच-ऐंच बिटि या इच्छा दिख्येंदि त नी पर पोर्न फिल्म का माध्यम सिं या मांग बच्चों का यौनशोषण कन्नाक एक बड़ो कारण बणिग्ये। लोग कुंवारि नौनि या निन्याळ कि नंगी फिल्मौं थैं देखणा छिन एक संस्था का सर्वे मं बताये गै कि 50 लाख लोग भारत मं ‘‘स्कूल गर्ल सैक्स’’ विषय कि नंगी फिल्मौं कि मांग कन्ना था। सैटेलाइट आधारित ये सर्वेक्षण मं बताये गै कि कोविड का दौरान ये विषय कि मांग 200 प्रतिशत बढिगि थै। बोना कु मतलब यू कि मांग नांग कि चा त तस्करुन हमारै छोरा-छोरि उठैक कखि यनि काम त करौंणिन अर बाकि अंग भंग कै बेचि देंणिन।
जु बच्चा या ज्वान नौनि मानव तस्करि कैक लिजये जांदिन वों को यौन शोषण का हौर भि तरिका छिन जु अब अलग अलग दुकानदार्यों दगड़ि शामिल ह्वैगिन। होटल, स्पा सेंटर, मसाज पार्लर जनी दुकान्यों की आड़ मं देह ब्यापार करये जांणु चा ज्वा समाचार पत्र मं आप हमेषा पढदै होला। यों दुकान्यों मं रोजगार का नौ पर भि गरीब परिवारों से नौनि खरीद्ये जांदिन अर मनमाफिक देहब्योपार वों स्ये जबरदस्ति करये जांद।
आज समाज मं मनख्यों को यु अवैध ब्योपार बढदि जांणु। ये कोविड-19 का दौरान सामाजिक संस्था ‘‘बचपन बचाओ आंदोलन’’ ना लौक डाउन काल मं 9000/ नौनि-निन्याळ अवैध ब्यापार सि मुक्त कराइन। यो दिखौंद कि मनस्वाग ब्योपारी लोगु कि मजबुरि को फैदा उठैक ज्यादा तस्करि कन लग्यांन अर औंण वाळा समै मं या तस्करि और बिकराळ होली यनु अनुमान चा।
हमारि देश कि सबि सरकार हमेषा मानवअधिकार अर लोकतांत्रिक मूल्य बचौंण का सौं घैंटिक अपणि जिम्मेदारि संभाळदन पर यो मनख्यों कि तस्करि को कलंक जख्या तखि किलै चा ये परैं सोचणै पड़लो। सरकारौं थैं मनख्यों कि तस्करि सि निपटणां तैं एक मजबूत वैधानिक ब्यवस्था अर डमडमा कानून बणौंणैं आज सख्त जर्रवत चा वखि एक जागरुक राष्ट्र का नागरिक होंण का नाता हमारो यो पैलो कर्तब्य चा कि हम सरकार थैं सूचना दीक अर खुद नजर रखिक यना मनस्वागु सि समाज थैं बचौं।
भारत सरकारन अबि ‘‘ब्यक्तियों की तस्करी(रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक 2021 संसद मं रख्यूं चा जो अगर पास होंद त ये कलंक से कारगर ढंग सि निपट्ये जै सक्येंद। विधेयक मं मनख्यों कि तस्करि ब्यचदारा अर खरिददारा दुयों पर नकेल कसणैं ब्यवस्था चा। ज्वा हमन लेख मं चर्चा करीं छिन वों सब्बि ब्योपार पर अपराधिक दंड देंण कि ब्यवस्था करीं चाा ंअर मनखी ब्योपार का पीड़ितौं थैं फिर सि समाज मं स्थापित कन्नै कि भि ब्यवस्था छिन। बचपन बचाओ आंदोलन कि एक अपील मं सबि सांसदों सि विधेयक को समर्थन कन्ना का साथ बोल्ये गै कि यु अगर पास ह्वैक कानून बंण्द त 2017 मं नोबेल शांति पुरस्कार विजैता श्री कैलाश सत्यार्थि जीन ज्वा भारत यात्रा करि वैमं शामिल सबि 22 राज्य का 12 लाख लोगु कि जीत होलि जौन भारत का 12000 किलोमीटर क्षेत्र मं मानव तस्करि रोकणा नारा लगैन, विचार बिमर्श कै अर आज सरकार ये पर कानून बणैंक ये कलंक मिटौंण चांदि। ये कानून पास होंणा बाद बाकि विस्तार सि चर्चा अगला लेख मं कौंला।

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