उत्तराखंड में जनांदोलनों के गौरवशाली विरासत के सच्चे प्रतिनिधि थे कॉमरेड कमलराम नौटियाल

-आसान नहीं कामरेड कमला राम नौटियाल हो जाना: समर भंडारी
-आठवीं पुण्य तिथि पर ऑनलाइन वेबिनार में याद किए गए लालघाटी के शेर

वैली समाचार, देहरादून। 

उत्तराखंड में जनांदोलनों, जनता के लिए संघर्ष और विकासपरक सोच रखने वाले कॉमरेड कमलाराम नौटियाल बनना आज आसान नहीं है। उत्तरकाशी जनपद से पहाड़ों के हितों, हक हकूकों और अधिकारों को लेकर जो लड़ाई कॉमरेड कमलाराम नौटियाल ने लड़ी वह उत्तराखंड के राजनेताओं के लिए गौरवशाली विरासत से कम नहीं है। यही कारण है कि कॉमरेड नौटियाल आज भी अपने जनांदोलनों से हर किसी मौके पर याद किये जाते हैं।

आज कॉमरेड कमलाराम नौटियाल प्रगतिशील मंच ने स्व कमलाराम नौटियाल की 8वीं पुण्य तिथि पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता कामरेड समर भंडारी ने कहा कि कामरेड कमला राम नौटियाल अदभुत जीवट के इंसान थे। उनके पास जनसाधारण की स्थितियों को संघर्ष से बहेतर बनाने का हठ था। जनसंघर्षों , जनांदोलनों से उभरे कम्युनिस्ट नेता का हमारे बीच से जाना अपूर्र्णीय क्षति नहीं है बल्कि सही मायनों में देखा जाय तो ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई मौजूद हालात में दूर दूर तक दिखाई नहीं देती। निसंदेह कामरेड नौटियाल कम्युनिस्ट आन्दोलन के गौरवशाली विरासत के सच्चे प्रतिनिधि थे। उन्होंने कहा कि कमला राम नौटियाल के कदम जनसंघर्षों के हर महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर पड़े हैं। किसानों के आन्दोलन, वनों के आन्दोलन और जनता के उन पर हक़ हकूकों की बहाली की ऐतिहासिक लड़ाई। प्रगतिशील मंच के अध्यक्ष आर्किटेक्ट कृष्णा कुरियल ने कहा कि कोविड के नियमो का पालन करते हुए मंच बिगत वर्ष से यह कार्यक्रम ऑनलाइन कर रहा है और कॉमरेड नौटियाल के विचारो को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया बिगत वर्षों में प्रगतिशील मंच द्वारा उत्तराखंड में उल्लेखनीय कार्य करने वाली हस्तियों ,चिकित्सकों , छात्र छात्राओं, पत्रकारों, नेताओ, आदि को सम्मानित किया जाता रहा है। उन्होंने समारोह में सभी वक्ता अतिथियों का स्वागत किया।

 

शास्त्रीय संगीत की दी प्रस्तुति

कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड की मशहूर शास्त्रीय संगीत गायिका श्रद्धा पांडेय द्वारा बंकिमचंद्र चैटरजी के “वन्दे मातरम” गीत से किया गया।

 

वरिष्ठ लेखक डॉ महावीर रवांल्टा ने ताजा की पुरानी यादें

उत्तराखंड भाषा संस्थान के सदस्य तथा वरिष्ठ लेखक महावीर रवांल्टा ने कहा की उत्तरकाशी की बात की जाए तो सत्तर से लेकर नब्बे का दशक वहां बेहद उथल-पुथल भरे समय के रुप में याद किया जा सकता है। साहस विश्वास करना काफी मुश्किल हो जाता है कि समय के इस शांत दौर में पहाड़ के इस छोटे से कस्बे में महंगाई,शोषण, अत्याचार, मजदूर ,किसान व आमजन के पक्ष में आवाज उठी होगी। इस आवाज के सूत्रधार कामरेड कमला राम नौटियाल रहे।तिलोथ कांड,धरासू कांड जैसे कृत्य तत्कालीन सता व व्यवस्था के चेहरे उजागर करते हैं।कमला राम नौटियाल सदैव इनके पक्ष में खड़े होकर जीते जी तक इनकी आवाज बने रहे।अनेक बार जेल यात्राएं की, यातनाएं सही। कामरेड कमला राम नौटियाल ने उतरकाशी का शायद ही कोई गांव छोड़ा हो जहां अपना लाल झंडा न लहराया हो। उनके साथी कार्यकर्ता उन्हें आज भी बड़े आदर के साथ उनके अद्भुत संघर्ष व शोषित लोगों के प्रति गहरे जुड़ाव व संवेदना के लिए याद करते हैं।इतना ही साहित्य व कला के प्रति उनमें गहरा लगाव व सम्मान रहा। सही मायने में कहा जाए तो उन्होंने सीमांत जनपद उतरकाशी को संघर्ष के तीर्थ के रुप में स्थापित किया।

 

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद

मंच के संरक्षिका कमला नौटियाल ने मंच के अध्यक्ष केसी कुडियाल, संयोजक आशीष थपलियाल, अंतर राष्ट्रीय समन्वयक राजेश नौटियाल एवं तृप्ति गैरोला, श्रद्धा पाण्डेय, जय प्रकाश राणा, सचिव नवीन पैन्यूली, क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक नौटियाल, वन्दना गोयल, सीईओ, जीजी, अर्थ शास्त्री – अंजन चक्रबर्ती, डा त्रिभुवन,  मंजू नौटियाल. पवन नौटियाल, और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आशीष थपलियाल द्वारा किया गाया। कार्यक्रम में देश विदेश के लोग ऑनलाइन जुड़े।

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