पुलिस और जनता के लोकप्रिय अफसर के निधन से हर कोई दुखी, सादगी और समर्पण के थे मिसाल

-सादगी और समर्पण के एक ऐसे युग जो बिना किसी लागलपाट के अपनी बात को कहने का दमखम रखते थे 

वैली समाचार, देहरादून।

आज सूचना आयी कि दुर्लभ व्यक्तित्व के धनी सेवानिवृत्त आईजी श्री जीवन चंद्र पांडेय जी का देहांत हो गया। अपने शानदार कार्यकाल में उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस के कई महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय में आईजी पद से उनकी सेवानिवृत्ति हुई थी। पुलिस विभाग में जो भी आईजी पांडेय सर से परिचित हुआ, उनकी ‘जीवन’ को जीने की शैली से प्रभावित हुए बिना नही रहा। आप जहां भी नियुक्त रहे वहां अपनी साफगोई और जिंदादिली के कारण लोग बिना लाग लपेट के बोली उनके तल्ख बातो को भी आशीर्वाद के रूप में लेते थे और वे पुलिस और जनता में अत्यंत लोकप्रिय रहे। चाहे कोई भी हो जो भी अपनी समस्या लेकर उनके पास गया वह कोई न कोई निदान या समाधान पाकर ही लौटा। उनकी यही अनूठी खूबी उन्हें अन्य पुलिस अधिकारियों से अलग करती है।
वैसे तो आईजी पांडेय सर से टेक्स्ट मैसेज और टेलीफोनिक संवाद पिछले कुछ समय से काफी कम ही रहा, लेकिन मेरी उनसे लम्बी मुलाकात उनसे सेवानिवृति के बाद उनके ठाकुरद्वारा स्थित आवास पर रात्रि भोज में हुई थी। सेवानिवृति के बाद भी उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नही था , बातों-बातों में उनके द्वारा बिना लागलपाट के अपनी बात को कहने का दमखम आज भी मेरी स्मृतियों में ताजा हैं। वह पुलिस सेवा में आने से पहले ठाकुरद्वारा में होने वाली राम लीला में यदाकदा भगवान श्री राम का क़िरदार निभाया करते थे। मेरा मानना है कि सिर्फ भगवान का किरदार नही निभाया बल्कि उनके चरित्र के कुछ विशिष्ट अंशो को उन्होंने अपने में आत्मसात भी किया था।
सेवानिवृत्त आईजी श्री जीवन चंद्र पांडेय जी का देहावसान उनके परिवारजनों, पुलिस विभाग और समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को मोक्ष प्रदान करें और उनके परिवारजनों को इस असीम दुख को सहने की शक्ति दे।
ॐ शान्ति, शांति, शांति ॐ

(आईजी संजय गुंज्याल जी की फेसबुक वॉल से)

 

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