विधायक गोपाल रावत के निधन से उत्तरकाशी की राजनीति में एक युग का अंत

-छात्र जीवन से राजनीति में थे सक्रिय, मंत्री का पीआरओ से लेकर विधायक तक रहा सफर

-आम लोगों के बीच बेदाग छवि, स्पष्टवादी, सादगीपसंद व्यवहार से थे लोकप्रिय

-आज पैतृक जनपद उत्तरकाशी में होगा अंतिम संस्कार, सीएम समेत कई नेता लेंगे भाग

वैली समाचार, देहरादून। 

उत्तरकाशी से गंगोत्री विधायक गोपाल रावत के निधन से जनपद में शोक की लहर है। उनके निधन से ऐसा लग रहा कि जैसा उत्तरकाशी की राजनीति का एक युग समाप्त हो गया है। विधायक रावत जैसी सरल, बेदाग छवि और लोकप्रियता वाला चेहरा ज़िले की राजनीति में दुबारा मिलेगा, ऐसा नामुमकिन है। इधर, देहरादून के एक प्राइवेट अस्पताल में अंतिम सांस लेने के बाद उनका पार्थिव शरीर उत्तरकाशी आवास ले जाया गया। जहां शुक्रवार को केदारघाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत समेत कई बड़े नेता अंतिम यात्रा में शामिल होंगे।

गंगोत्री विधानसभा से भाजपा के विधायक गोपाल रावत का गुरुवार को देहरादून में उपचार के दौरान निधन हो गया है। वह पिछले कुछ समय से कैंसर से पीड़ित थे। पिछले साल दिसंबर माह से उनका मुंबई में उपचार चल रहा था। यहां से देहरादून आने के बाद वह विधायक हास्टल में लोगों की समस्याओं को सुन रहे थे। इस बीच वह गैरसैंण विधानसभा सत्र में भी शामिल हुए थे। यहां से दुबारा उनकी हालत खराब होने लगी थी। इसके बाद उन्होंने फिर से अपना इलाज कराया। इन दिनों वह जोगीवाला स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे। जहां गुरुवार को इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही राज्य और जनपद में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

छात्र जीवन से थे राजनीति में सक्रिय

विधायक गोपाल रावत छात्र जीवन से ही समाजसेवा में सक्रिय रहे। वर्ष 1984 में पीजी कालेज उत्तरकाशी में छात्र संघ अध्यक्ष बनने के साथ उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। इसके बाद वे उत्तरकाशी नगर पालिका में सभासद चुने गए। इस दौरान उन्होंने पूर्व काबीना मंत्री बलदेव सिंह आर्य के साथ पीआरओ के तौर पर सेवाएं दीं। वर्ष 1996 में वह डुंडा प्रखंड के ब्लाक प्रमुख चुने गए। वर्ष 2002 तक ब्लाक प्रमुख के तौर पर राजनीति में सक्रिय रहने के बाद वर्ष 2005 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। वर्ष 2007 में गंगोत्री विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने वर्ष 2017 के चुनाव में फिर से रिकार्ड मतों से जीत हासिल की।

 

62 साल की उम्र में कह दिया अलविदा

जनपद के धनारी (डुंडा) निवासी एडवोकेट स्व कुंदन सिंह रावत के पुत्र गोपाल रावत का जन्म 24 फरवरी 1959 को हुआ था। महज 62 वर्ष के जीवन काल में चालीस सालों तक सक्रिय राजनीति में रहे। वह हमेशा क्षेत्र हित में कार्य किया। विधायक गोपाल रावत अपने पीछे पत्नी, दो बेटी और एक पुत्र समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनकी दोनों बेटियों की शादी हो रखी है। बड़ी बेटी के पति (दामाद) का पिछले कुछ समय पहले निधन होने से भी वह टूट गए थे। बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

मंत्रिमंडल ने जताया शोक, सीएम से दी सांत्वना

विधायक गोपाल रावत के निधन पर उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल ने शोक सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में मंत्रीगणों और विधायकों के साथ निधन पर दो मिनट का मौन रख गहरा शोक व्यक्त किया गया। दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जोगीवाला स्थित गोविन्द अस्पताल पहुंचकर विधायक रावत के पार्थिव देह पर श्रद्धांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिजनों को ढाढस बंधाया। पार्टी हित और गंगोत्री वैली के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद किए जाएंगे।

 

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