….तो इसीलिए डीआईजी अरुण मोहन जोशी दूसरे अधिकारियों से अलग

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र डसीला की फेसबुक वॉल से)

फिल्मों और वेब सीरीज में आपने अक्सर देखा होगा कि जब पुलिस से मदद मांगी जाती है तो कभी – कभी पुलिस दूसरे देश में जाकर भी ऑपरेशन को अंजाम दे देती है । लेकिन जब हम हकीकत में पुलिस की कार्रवाई देखते हैं तो कई बार फिल्मों की यह कहानी बड़ी काल्पनिक से लगती है।

लेकिन देहरादून पुलिस ने बीते 24 घंटे में जिस कार्रवाई को अंजाम दिया है वह तारीफ के काबिल है। एक महिला देहरादून के डीआईजी / एसएसपी अरुण मोहन जोशी के पास आती है । वह बताती है कि साल 2018 में उसकी शादी हरियाणा के एक व्यक्ति से हुई। जिसे शख्स से उसकी शादी हुई वो अब उसे खूब मारता पीटता है इतना ही नहीं उसके साथ डोमेस्टिक वायलेंस कर रहा है। और इस पूरे मामले में उसके ससुराल के लोग भी उसके पति का ही साथ देते हैं । वह इस बात से काफी परेशान और हताश है। ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर अपने घर से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद हताश होकर वह अपने 1 साल के बच्चे को लेकर अपने मायके देहरादून वापस आ गई ।

महिला को शायद देहरादून पुलिस से उम्मीद थी इसलिए महिला अपनी शिकायत लेकर सीधे देहरादून के डीआईजी अरुण मोहन जोशी के पास पहुंची । जहां महिला ने अपनी पूरी शिकायत बताई। पीड़ित महिला ने बताया कि उसका पति अगले 24 घंटे में भारत छोड़कर दुबई जा रहा है। और अगर वह दुबई चला गया तो उसका पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा ऐसे में डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने महिला और उनके ससुराल वालों की काउंसलिंग कराने के निर्देश दिए पीड़ित महिला के पति को फोन लगाया गया लेकिन फोन स्विच ऑफ होने के चलते बात नहीं हो पाई पीड़ित महिला के ससुराल वालों ने भी काउंसलिंग में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और ना ही कोई सकारात्मक रिस्पांस दिया। जिसके बाद महिला की ओर से देहरादून कोतवाली थाना क्षेत्र में पूरे मामले पर एक मुकदमा लिखाया गया।

महिला ने शिकायत की थी। पुलिस ने कोशिश की और अब मुकदमा भी दर्ज हो गया । शायद कहानी यहां खत्म हो सकती थी। लेकिन डीआईजी अरुण मोहन जोशी यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि एक गैर जिम्मेदार आदमी अपनी पत्नी और 1 साल के बच्चे को छोड़कर हमेशा के लिए दुबई भाग जाए। जिसके बाद डीआईजी अरुण मोहन जोशी के आदेश पर पीड़ित महिला के पति का लुकआउट कॉर्नर नोटिस जारी किया गया और 15 सितंबर शाम 6:00 बजे दिल्ली से दुबई का टिकट रद्द कराया गया। डीआईजी के आदेश पर पुलिस की टीम लगातार इस पूरे मामले को फॉलो करती रही पुलिस की टीम अब दिल्ली पहुंच चुकी है और जल्द ही महिला के पति को भी देहरादून लेकर आएगी।

पुलिस चाहती तो मुकदमा दर्ज करके खानापूर्ति कर सकती थी लेकिन शायद यह न्याय नहीं कहलाता। पीड़ित महिला अपने परिवार को बांधे रखने की कोशिश कर रही थी। शायद इसीलिए वह चाहती थी कि पुलिस उसके पति को दुबई जाने से रोके क्योंकि अगर उसका पति दुबई चला जाता तो फिर उसे न्याय कैसे मिलता। अपने 1 साल के बच्चे के हक के लिए वह आखिर किस से उसका अधिकार मांगती।

डीआईजी अरुण मोहन जोशी की छवि बेदाग अफसरों में गिनी जाती है । शायद इसलिए इनका काम करने का तरीका भी औरों से अलग है । इस तरह एक महिला को उसका अधिकार दिलाने के लिए एक आरोपी पति को फ्लाइट से उतरवाकर देहरादून लाया जा रहा है। जब पुलिस के सीनियर अधिकारी इस तरह के निर्णय लेते हैं तो आम आदमी का भरोसा पुलिस पर और ज्यादा बढ़ जाता है।

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