आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब सिर्फ डिग्री ही नहीं शोध और विकास कार्य भी शामिल
-पुराने पैटर्न पर होगी होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक फार्मेसी के रिक्त पदों पर भर्ती
-विश्वविद्यालय जरूरत के हिसाब से नियमानुसार खर्च करेगा 72 करोड़ का फण्ड
-आयुष मंत्री ने कहा 24 घण्टे के भीतर मिलेगा नर्सिंग स्टाफ का वेतन
लीई समाचार, देहरादून।
प्रदेश के आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने विधान सभा स्थित सभाकक्ष में आयुष विभाग के कार्मिकों से सम्बन्धित समस्या के निदान के लिए आवश्यक निर्देश दिये।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महिनों से रूके हुए नर्सिंग स्टाफ का वेतन 24 घण्टे के अन्दर देने की कार्यवाही करें। उन्होंने कोविड काल में नर्सिंग स्टाफ की विशेष भूमिका और सेवा की महत्ता को स्वीकार किया एवं लिपिकीय त्रुटि के आधार पर वेतन को रोकने पर नाराजगी व्यक्त की।
आयुष मंत्री ने आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी, एमडी जो आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में मानक पूरा करने के कारण सम्बद्ध हैं, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में संविलियन करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया। प्रशासकीय दक्षता बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक निदेशालय और आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मिनिस्टीरियल संवर्ग को एकल संवर्ग में बदलने के लिए नियमावली लायी जायेगी। आयुर्वेदिक विभाग में कार्मिकों के पेंशन इत्यादि की समस्या के समाधान के लिए प्रस्ताव लाया जायेगा। होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक फार्मेसी के रिक्त पद, पुराने नियमावली के अनुसार भरे जायेंगे। चतुर्थ श्रेणी के पद आयुर्वेदिक विभाग आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जायेंगे।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का कार्य केवल डिग्री देना नहीं है बल्कि शोध और विकास कार्य करना भी है। विश्वविद्यालय प्रशासन से संबन्धित प्रकरण पर विश्वविद्यालय अपने स्तर से निर्णय लेगा और आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के पास मौजूद 72 करोड़ के फण्ड का उपयोग नियमानुसार प्रयोग करेगा। अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान के विकास व अन्य विकास के मद में उपयोग किया जायेगा।
इस अवसर पर सचिव आयुष डी. सेंथिल पांडियन, अपर सचिव वित्त देवेन्द्र पालीवाल, अपर सचिव कार्मिक एस.एस.वल्दिया, अपर सचिव आयुष राजेन्द्र सिंह, निदेशक डाॅ वाईएस रावत एवं डाॅ राजेन्द्र सिंह तथा आयुर्वेदिक विवि के वाइस चांसलर प्रो.सुनील कुमार जोशी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।