कोरोना से जंग लड़ रहे दून अस्पताल के इन योद्धाओं को सल्यूट

-घर परिवार से दूर रहकर दिनरात जुटे हुए कोरोना मरीजों की सेवा में

-खुद की जान की परवाह न कर दूसरों को सीखा रहे कोरोना की जंग से लड़ना

-अब तक पांच पॉजिटिव मरीजों को ठीक कर भेज चुके घर, 14 का चल रहा इलाज

 

संतोष भट्ट, देहरादून

कोरोना महामारी की दहशत से आम से लेकर खास लोग भी जीवन बचाने की जुगत में जुटे हैं। इन सब के बीच कुछ ऐसे भी हैं जो घर-परिवार से दूर कोरोना से जंग जीतने में दिनरात जुटे हैं। हां हम बात कर रहे दून अस्पताल के डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और व्यवस्था में जुटे हर छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अफसरों की। महामारी के वार के बीच इन योद्धाओं ने खुद की जान को खतरे में डालकर दूसरों को जीवनदान देना अपना लक्ष्य बना लिया है। इसमें वह काफी हद तक सफल भी साबित हो रहे है।

कोरोना की दहशत से जहां आम लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, वहीं दून अस्पताल (दून मेडिकल कॉलेज) का स्टाफ कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने जुटा है। अस्पताल में अब तक 17 पॉजिटिव और 100 से ज्यादा संदिग्ध भर्ती हो चुके हैं। लेकिन अस्पताल का डॉक्टर, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय, सफाई कर्मचारी, दफ्तर का स्टाफ और बड़े अफसर मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। इनमें से अधिकांश डॉक्टर और स्टाफ अपने घरों से दूर तो कुछ 12 से 14 घण्टे तक सेवाएं दे रहे हैं। इनमें कॉलेज के प्रधानाचार्य आशुतोष सयाना भी अस्पताल में हर दिन देर रात तक का अपडेट ले रहे हैं। इसी तरह कोरोना मरीजों को ठीक करना का जिम्मा उठाये डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ मनोज शर्मा,डॉ एन.एस खत्री,डॉ, नारायणजीत, मेट्रन रामेश्वरी आदि टीम दिनरात जुटी है। कोरोना मरीजों का पल पल ख्याल रखने और शरीर में हो रहे बदलाव को नजदीक से देख कर इलाज दे रहे हैं। इस जोखिम भरे काम में अस्पताल का अन्य स्टाफ भी कंधे से कंधा मिलाकर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन को आगे आ रहा है।

खासकर अस्पताल का मुख्या पीआरओ महेंद्र सिंह भंडारी, पीआरओ संदीप राणा तो 12 से 14 घण्टे कोरोना की जंग से लड़ रहे है। अस्पताल में आने वाले मरीज के भर्ती करने में मदद करने से लेकर देर रात तक अधिकारियों तक अपडेट रिपोर्ट देने और अस्पताल में हर छोटी बड़ी व्यवस्था को जुटना यह अपने लक्ष्य को हासिल करना समझते हैं। बहरहाल कोरोना महामारी में जिस तरह से दून अस्पताल के योद्धा जंग लड़ रहे हैं, उसके लिए हर किसी का सल्यूट बनता है।

डॉ सयाना के प्रबंधन की खूब तारीफ

यह पहली बार देखा जा रहा कि प्राईवेट अस्पतालों की लग्जरी सुविधाओं को दरकिनार कर सरकार ने कोरोना जैसी महामारी से निपटने में सरकारी व्यवस्था पर भरोसा जताया है। राज्य में सबसे पहले ट्रेनी आईएफएस अधिकारियों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। लेकिन सरकार ने दून के नामी अस्पतालों में उनका इलाज कराने की बजाय दून अस्पताल को यह जिम्मेदारी दी है। यहां मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना के नेतृत्व में यह जंग मजबूती से लड़ी जा रही है।  सोशल मीडिया में वायरल खबरों के मुताबिक डॉ सयाना सुबह 8 बजे से लेकर रात 1 बजे तक मीटिंग, राउंड, व्यवस्था और मरीजों का हाल चाल जानने से लेकर अगले दिन की रणनीति तैयार करने में बखूबी सफल साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि अस्पताल के सभी डॉक्टर, स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ पूरी ऊर्जा और जोश के साथ कोरोना मरीजों की सेवा में जुटा हुआ है।

 

संदीप राणा 20 दिन में आधे घण्टे के लिए गए बच्चों के पास

अस्पताल के सहायक संपर्क अधिकारी संदीप राणा की काबिलियत और जज्बे को हर कोई सल्यूट करता है। संदीप ने घर-परिवार से दूर जैसा अस्पताल को ही घर बना लिया हो। यूं पहले भी संदीप अस्पताल में समय मिलते ही लोगों की सेवा में जुटे रहते थे। लेकिन एपीआरओ की जिम्मेदारी मिलने के बाद संदीप पूरी तरह से दीन-दुखियों से लेकर अपनी जिम्मेदारी में रम गए हैं। कोरोना महामारी के बाद तो संदीप को घर जाने की फुर्सत ही नहीं मिल रही। वह पिछले 20 दिन में एक दिन आधे घण्टे के लिए अपने छह माह के बच्चे को देखने तो गए, लेकिन कोरोना की डर से गेट के अंदर नहीं जा पाए। गेट के बाहर चाय पीने के बाद वापस ड्यूटी पर आ गए। तब से कभी रात या सुबह ही बच्चों से फोन पर बात होती है। सुबह अस्पताल पहुंचने के बाद संदीप रात 12 से 1 बजे ही घर पहुंच रहे हैं। संदीप जैसे दूसरे स्टाफ की कहना भी इससे जुदा नहीं है। कोरोना महामारी के बीच संदीप ने अपना जन्मदिन भी अस्पताल में मनाया। साथ ही रक्तदान में भी जिम्मेदारी निभाई।

 

कोरोना पॉजिटिव तीन को भेजा घर

दून अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव तीन ट्रेनी आईएफएस इलाज के बाद घर चले गए है। देश के कई राज्यों में दून अस्पताल की यह उपलब्धि है। इसके अलावा एक अमेरिकन नागरिक और दुबई से लौटे युवक की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। उम्मीद है कि यह रिपोर्ट भी नेगिटिव आएगी।

 

सरकारी व्यवस्था पर बढ़ा भरोसा

राज्य के सरकारी अस्पतालों में अच्छे डॉक्टर, पर्याप्त संसाधन और सुविधाओं के बावजूद लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज करने से बचते हैं। मगर, कोरोना के कहर के बाद यह पहला मौका है जब सरकारी अस्पतालों पर लोगों का भरोसा बढ़ा है। इनसे सरकार की भी जिम्मेदारी बढ़ गई कि सरकारी अस्पतालों पर ज्यादा ध्यान देकर यहां जो कमी है,उसको दूर किया जाय।खासकर स्टाफ से काम लेने और जिम्मेदारी तय करने से भी काफी हद तज व्यवस्था सुधर जाएगी।

 

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