उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर कोरोना की मार, सैर सपाटे पर 31 तक पाबंदी
देहरादून। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को लेकर सरकार ने एक और बड़ा फैसला ले लिया है। सरकार ने राज्य के सभी संरक्षित वन क्षेत्र जो पर्यटकों की आवाजाही के लिए खुले हैं, उनमें 31 मार्च तक सैर सपाटे पर रोक लगा दी है। इसके अलावा औषधि आयुक्त ने मेडिकल स्टोर संचालकों को खांसी, जुकाम और सिरदर्द की दवा डॉक्टरों के लिखे पर्चे पर ही देने के आदेश दिए हैं। उधर, राज्य में कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू हो गए हैं।
देश और दुनिया में कोरोना की वायरस की दहशत का असर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। नेपाल और चीन सीमा से लगे उत्तराखंड में भी इसे लेकर ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। स्कूल, कॉलेज, मॉल, जिम और सार्वजनिक स्थलों पर जुटने वाली भीड़ पर सरकार पहले ही रोक लगा चुकी है। मंगलवार को सरकार ने देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने वन पर्यटक स्थलों के सैर सपाटे पर पाबंदी लगा दी है। राज्य के प्रमुख वन संरक्षक /मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने संरक्षित वन क्षेत्र के राष्ट्रीय पार्क, वन्यजीव विहार, ज़ू, टाइगर रिजर्व, आदि पर्यटक स्थलों में आवाजाही पर रोक लगा दी है। इन स्थानों को आने वाले पर्यटक 31 मार्च तक प्रवेश नहीं कर पाएंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पहले ही भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रोक लगा दी थी। पुरातत्व विभाग ने भी सामरिक दृष्टि से जुड़े पर्यटक स्थलों पर रोक लगाई जा चुकी है।
डॉक्टर के लिखे पर्चे पर दें दवा
राज्य के आयुक्त खाद्य संरक्षण एवं औषधि प्रशासन पंकज पांडेय ने बताया कि सभी मेडिकल स्टोर संचालकों को आदेश दिए गए कि वह सर्दी, जुकाम खांसी एवं सिर दर्द की दवा बिना डॉक्टर के पर्चे के न दें। यदि बिना डॉक्टरों के परामर्श के दवा दी गई तो सम्बन्धित मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके अलावा कोरोना वायरस की रोकथाम को उपयोग होने वाले सेनेटाइजर, मास्क और अन्य को भी उचित कीमत पर दें। इन वस्तुओं के अधिक दाम लेने पर सीधी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।