भू-बैकुंठ धाम भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुले,कोरोना के खात्मे को हुई पहली पूजा
-धार्मिक परम्पराओं के साथ ब्रह्ममुहूर्त में खुले भगवान श्री बदरीविशाल जी के कपाट
– कोरोना महामारी से पूरे विश्व को निजात पाने के लिये की गयी विशेष पूजा-अर्चना
– ब्रह्ममुहूर्त में 4:15 बजे खुले भगवान श्री बदरीनाथ जी के कपाट
वैली समाचार, बदरीनाथ।
भू-बैकुंठ धाम भगवान बदरीनाथ के कपाट धार्मिक रीतिरिवाज के साथ खुल गए हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड स्थित चारों धाम में देवताओं की छह तक पूजा शुरू हो गई है। कोरोना संक्रमण के चलते चारधाम यात्रा स्थगित है। ऐसे में तीर्थ पुरोहित ही फिलहाल पूजा अर्चना करेंगे। इधर, देवस्थानम बोर्ड की ओर से वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए जारी एसओपी के अनुसार कपाटोद्घाटन में धार्मिक परंपराओं को बखूबी निभाया।
कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष चारधाम यात्रा एवं कपाटोद्घाटन के समय श्रद्धालुओं को यात्रा व दर्शनों की अनुमति नहीं थी। लिहाज तीर्थ पुरोहितों ने सादगी के साथ ब्रह्मूर्त पर ठीक 4:14 बजे कपाट खोले। इसके बाद श्री बदरीनाथ जी की छह माह की पूजा-अर्चना शुरू हो गई। इस बार तीर्थपुरोहितों के साथ ही जिला प्रशासन, देवस्थानम बोर्ड और स्थानीय लोग ही कोरोना की गाइडलाइन के मुताबिक कपाट उद्घाटन पर शामिल हो पाए। इससे पहले बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरप्रसाद नमूदारी एवं धर्माधिकारी, वेदपाठी व पूजारीगण, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी की उपस्थिति में निर्धारित शुभ मुहर्त में भगवान के श्री कपाट खुलें। सभी अधीनस्थ मंदिरों में श्री आदिकेदारेश्वर , श्री शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी खुले। श्री माता मूर्ति मंदिर के कपाट पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी ने खोले तथा श्री भविष्य बदरी मंदिर के कपाट पुजारी सुशील डिमरी ने खोले।
8 कुंतल फूलों से सजा भगवान का द्वार
श्रद्धालुओं की तरफ से इस बार भी भगवान बदरीनाथ के मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया। करीब 8 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया। इससे मंदिर भव्य और दिव्य रूप में नज़र आया।