अमेरिका के कलाकारों ने नेगी दा के साथ गाया धरती हमरा गढ़वाल… गीत

-चौरासी कुटिया में पहली बार गूंजा अमेरिका और उत्तराखंड का गीत संगीत

-देश विदेश से पहुंचे दर्शकों ने उठाया लुत्फ, सुर सम्राट नेगी दा के गीत पर दी जुगलबंदी

-अमेरिका से आये कलाकारों ने बीटल्स बंधुओं का गीत संगीत की दी शानदार प्रस्तुति

देहरादून। धरती  हमरा  गढ़वाल  की, कथगा रोतेली स्वाणी  चा…गीत के बोल जैसे ही सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी ने गुनगुनाए, सात समुुंदर पार से पहुंचे फिरंगियों ने भी मधुर संगीत देते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। नेगी दा के साथ अमेरिका से आये इन लोक कलाकारों ने ताल से ताल मिलाते हुए जुगलबंदी की अनूठी मिसाल पेश कर दी। इसके बाद तो दर्शक दीर्घा में मौजूद हर शख्स तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का आभार जताना नहीं भुला।

रिषिकेश स्थित महर्षि महेश योगी की तपस्थली और अमेरिका में बीटल्स आश्रम के नाम से बिख्यात चौरासी कुटिया गुरुवार को गीत संगीत से गूंज उठी। मौका था अमेरिका के लोक कलाकार ब्लू ग्रास जर्नी मैन की सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी के साथ जुगलबंदी। मंच पर जैसे ही अमेरिका से आये कलाकारों की टोली ने एक के बाद एक गीत की प्रस्तुति किए, पूरा माहौल संगीतमय हो गया। अमेरिका के कलाकारों ने बीटल्स बंधुओं के गीत की भी शानदार प्रस्तुति देते हुए दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। जैसे ही जुगलबंदी को नेगी दा मंच पर पहुंचे अमेरिका के कलाकारों ने संगीत की धुन बजाते हुए उनका स्वागत किया। इस दौरान दर्शकों ने भी नेगी दा और अमेरिका की टोली का तालियों से आभार जताया। नेगी दा ने भी सात समुंदर पार से उत्तराखंड में पहुंचे कलाकारों का स्वागत किया। इसके बाद नेगी दा ने देवी-देवताओं की स्तुति गाते हुए उत्तराखंड की लोक संस्कृति और रीति-रिवाज को दर्शाता गीत, धरती  हमरा  गढ़वाल  की ,कथगा रोतेली स्वाणी  चा  , पंच  बदरी , पंच  केदार , पंच  प्रयाग  इखी  छन् , पंच  प्रयाग  इखी  छन,पंच  पंडोव    ऐनी  इखी , भाग  हमरा  धन  धन् … की शानदार प्रस्तुति दी। इस गीत के एक एक शब्द पर अमेरिका के कलाकारों ने मधुर संगीत देते हुए दर्शकों का दिल छू लिया। करीब 10 मिनट तक इस गीत को न केवल अमेरिका के कलाकारों ने संगीत दिया बल्कि नेगी दा के साथ गुनगुनाया भी। अंग्रेज कलाकारों की इस प्रतिभा की हर किसी ने सराहना करते हुए तारीफों के पुल बांध दिये। इस मौके पर राजा जी नेशनल पार्क के निदेशक राजीव भरतरी ने टीम का आभार जताते हुए सम्मानित किया। कार्यक्रम में आईएफएस पीके पात्रो, कोमल सिंह, समाजसेवी गणेश खुगशाल, रामचरण जुयाल, चन्द्र मोहन सिंह नेगी, आदि मौजूद रहे।

उत्तराखंड में यह पहला आयोजन

अमेरिका की लोक संस्कृति को प्रमोट करने के लिए गीत संगीत का कार्यक्रम भारत में चल रहा है। उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह का आयोजन पहली बार आयोजित हुआ, जब अमेरिका के कलाकारों ने पहाड़ के लोक संगीत पर अपनी प्रस्तुति दी। इस आयोजन से न केवल अमेरिका में उत्तराखंड की लोक संस्कृति के बारे में संदेश गया बल्कि वहां के कलाकार अपने देश मे यहां की संस्कृति के बारे में दूसरों को रूबरू कराएंगे। इस आयोजन को कराने में वरिष्ठ पत्रकार और विलुप्त होती लोक कलाओं प्रमोट करने में जुटे राजू गुसाईं की अहम भूमिका रही है। अमेरिका दूतावास से लेकर वहां के कलाकारों ने गुसाईं की जमकर तारीफ की है।

पहाड़ी टोपी पहन कर दी प्रस्तुति

अमेरिका से आये ब्लू ग्रास जर्नी कलाकारों को कुनाऊ इको विकास समिति ने पहाड़ी टोपी भेंट की । इसके बाद कलाकारों ने पहाड़ी टोपी पहनकर अपनी प्रस्तुति दी। कलाकारों ने पहाड़ी लोक संगीत और संस्कृति की खूब तारीफ की।

चौरासी कुटिया के बारे अहम जानकारी

महर्षि महेश योगी ने सर्वप्रथम 1960 में इस स्थान का दौरा किया था। गंगा के किनारे स्थित इस निर्मल स्थान पर वे इतने मंत्रमुग्ध हो गए कि उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से 15 वर्षों हेतु इसे पट्टे पर देने का अनुरोध किया। 1961 में उन्हें यह स्थल 40 वर्षों के लिए पट्टे पर प्राप्त हुआ जिस पर उन्होंने आश्रम बनाया। इसके बाद इस आश्रम को ख्याति प्राप्त होने लगी। आश्रम को तैयार करने के बाद महर्षि महेश योगी जी ने अपना पूरा ध्यान योग यूरोप के देेेशों में किया। उनके यूरोप जाने के बाद कुछ समय आश्रम क्रियाशील रहा किन्तु 1990 के दशक में अंततः आश्रम परित्यक्त हो गया। आश्रम की इमारतें में धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होने लगा। वर्ष 2000 में आश्रम को पुनः वन विभाग के सुपुर्द किया गया। अब आश्रम राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के पास है।

‘बीटल्स’ आश्रम से भी पहचान

चौरासी कुटिया ‘बीटल्स’ आश्रम के नाम से भी लोकप्रिय है।सन 1968 में अमेरिका के बीटल्स दल के सदस्य महर्षिजी से अतीन्द्रिय ध्यान की कला सीखने ऋषिकेश आये थे।वे इसी आश्रम में ठहरे थे। उन्होंने महर्षी महेश योगी से आध्यात्म एवं योग की दीक्षा ली थी। आध्यात्म एवं योगध्यान को आत्मसात करते हुए इसी आश्रम में उन्होंने कई गीतों की रचना की थी। ऐसा कहा जाता है कि संगीतज्ञ के रूप में यह समय उनका सर्वाधिक फलदायी समय था। इसी दौरान दल के सदस्य जॉर्ज हैरिसन ने सितार बजाना भी सीखा।  ‘बीटल्स’ ने इस आश्रम की ख्याति पश्चिमी दुनिया तक पहुंचाई। इससे आश्रम में पश्चिमी देशों के अनुयायियों की संख्या बढ़ाने लगी और अब यह आश्रम ‘बीटल्स’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

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