शहीद मेजर विभूति की पत्नी की जिंदादिली, सेना में बनेंगी अफसर

मेजर विभूति को शहादत के दिन सलाम करती पत्नी निकिता(फ़ाइल फ़ोटो)

देहरादून। पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ चले ऑपरेशन में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी निकिता ढौंडियाल ने फिर जिंदादिली दिखाई है। शादी के दस माह में पति खोने के बाद निकिता ने जिस साहस से शहादत के दिन ‘आई लव यू विभू’ जैसे मार्मिक शब्दों से पति को अंतिम विदाई दी थी। ठीक एक बरस बाद अब निकिता ने पति की शहादत का बदला लेने और सरहद पर देश की रक्षा करने का अदम्य साहस दिखाया है। निकिता के इन साहस को हर कोई सलाम कर रहा है। निकिता की जिंदादिली यह है कि जल्द सेना में अफसर बनकर देश की रक्षा करेंगी। इधर, मंगलवार को निकिता दिल्ली से दून पहुंची और घर के आंगन में मेजर विभूति को श्रद्धांजलि अर्पित की इस दौरान सेना के कई बड़े अधिकारी, स्थानीय लोग और परिवार के लोगों ने नम आंखों से मेजर विभूति को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान भी निकिता अंदर से भले ही टूटी नज़र आई , लेकिन देश की रक्षा का जज्बा जुबां पर साफ झलक रहा था।

देहरादून के डंगवाल मोहला स्थित घर के आंगन में मंगलवार को पति मेजर विभूति को श्रद्धांजलि देती निकिता।

 सेना या अन्य जगह पति की शहादत के बाद ही कोई पत्नी अपने को संभाल पाती होंगी। शादी के दस माह के सपने जैसे समय में पति का साथ छूट जाने के बाद कोई भी महिला पति की शहादत वाले रास्ते पर जाने को तैयार होंगी। मगर, कश्मीर से नाता रखने और देहरादून के नेशविल रोड के डंगवाल मोहला में मेजर विभूति से विवाह करने वाली निकिता ने विपरीत परिसिथतियों में इस तरह वीरता का परिचय दिया है। सेना और करीबियों की माने तो निकिता भी देश की रक्षा को शहीद पति की राह पर चल पड़ी हैं। जल्द वह सेना में अफसर की भूमिका में नजर आएंगी। कहा गया कि निकिता ने सेना में अफसर बनने की सभी परीक्षाएं पास कर ली हैं। ऐसे में वह जल्द सेना ज्वाइन कर सकती हैं। गौरतलब है कि 18 फरवरी 2018 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीरके चले ऑपरेशन में उत्तराखंड ने अपने दो और लाल खो दिए थे। इसी अभियान में जैश-ए- मोहम्मद के खिलाफ चले ऑपरेशन में मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हुए थे। इस घटना ने पूरे देश और उत्तराखंड को हिला कर रख दिया था। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल के घर के इस घटना से कोहराम मच गया था। आज मेजर विभूति की प्रथम बरसी है। पुरानी याद ताजा होने से हर कोई दुखी हैं। लेकिन विभूति की शहादत के बीच एक गर्व करने वाली खबर आ रही है। इस खबर को सुनकर हर कोई मेजर की पत्नी निकिता को सलाम कर रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसी जिंदादिल बेटी हर किसी के घर जन्म लें। निकिता के इस निर्णय से शहीदों के परिवार, वीर नारियों को देश की सेवा का साहस दोगुना हुआ है। हर कोई निकिता के इस निर्णय की तारीफ कर कायल नज़र आ रहे हैं। बहरहाल सब कुछ ठीक रहा तो निकिता जल्द देश की सरहद पर सेना में मोर्चा संभाल कर दुश्मनों के दांत खट्टे करेंगी।साथ ही आतंकवादियों को पति की शहादत का बदला लेगी।

 

शहीद मेजर विभूति को बरसी पर नमन करते सेना के अफसर।

ये हैं विभूति के परिवार के लोग
मेजर विभूति शंकर के पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के चार बच्चे थे। इनमें तीन बेटियां और सबसे छोटा बेटा विभूति था। विभूति की सबसे बड़ी बहन पूजा की शादी हो चुकी है। उनके पति सेना में कर्नल हैं। उनसे छोटी बहन प्रियंका शादी के बाद अमेरिका में रहती हैं। तीसरी बहन वैष्णवी अविवाहित हैं। वह देहरादून के एक निजी स्कूल में पढ़ाती हैं। वर्तमान में विभूति के घर में 95 वर्षीय दादी, मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन हैं।

शादी के दिन खुशी जाहिर करते विभूति और निकिता(फ़ाइल फ़ोटो)

सपने तरह थी विभूति और निकिता की शादी

मेजर विभूति और निकिता की शादी एक सपना जैसा था। उनका विवाह 18 अप्रैल 2018 को हुआ था। 19 अप्रैल को पहली बार पत्नी नितिका को लेकर वह डंगवाल मार्ग स्थित अपने घर पहुंचे थे। यहां बहू के आने पर परिजनों ने खूब हंसी खुशी मनाई। कुछ दिन साथ रहने पर मेजर विभूति और निकिता ने भविष्य के सपने संजोये थे। इस बीच विभूति ड्यूटी चले गए थे। जनवरी 2019 के पहले सप्ताह में छुट्टियां खत्म कर डयूटी पर लौटे थे। मार्च में विभूति ने घर आने का वादा किया था। मगर, ऊपर वाले को यह मंजूर नहीं था। इसके बाद 18 फरवरी को विभू का पार्थिव शरीर तिरंगे पर लिफ्टकर घर आया था। इसके बाद तो निकिता के साथ पूरे परिवार पर दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा।

 

(शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल-फ़ाइल फोटो )

सेना में जाने का बचपन से था जुनून
शहीद मेजर विभूति को बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। दो बार असफल हुए। लेकिन, फिर सफलता मिली। मेजर बनने के बाद विभूति का जोश व जुनून दोगुना हो गया था। उन्होंने वर्ष 2000 में सेंट जोजेफ्स एकेडमी से 10वीं और 2002 में पाइन हाल स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद डीएवी से बीएससी की।कक्षा सात से ही विभूति ने सेना में जाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। जब वे सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) में भर्ती की परीक्षा दी। लेकिन चयन नहीं हुआ। 12वीं में एनडीए की परीक्षा दी। लेकिन, चयन नहीं हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ और ओटीए चेन्नई में प्रशिक्षण हासिल किया। वर्ष 2012 में पासआउट होकर उन्होंने कमीशन प्राप्त किया।

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