डीआईजी ने बनाया सिटीजन चार्टर, तीन से 15 दिन के भीतर इन शिकायतों का हर हाल में निस्तारण

-उत्तराखंड में पुलिसिंग के नए तौर तरीके सीखा रहे डीआईजी अरुण मोहन जोशी

-कोरोना काल में दून पुलिस की सूझबूझ और व्यवस्था ने राज्य में पेश की नजीर

-कानून अमीर और गरीब के लिए बराबर, जॉइन करने के दिन दे चुके थे संदेश

वैली समाचार, देहरादून।

उत्तराखंड की राजधानी में पिछले कुछ समय से मित्र पुलिस ने काम करने के तौर तरीके बदल दिए हैं। अमूमन सिफारिश और मोलभाव की आदी हो चुकी पुलिस अब हर अपराध पर संजीदगी के साथ पेश आ रही है। अन्यथा पहले अपराध दर्ज करने या पीड़ित को न्याय दिलाने की बजाए छिपाए रखने और परेशान करने की प्रथा चल रही थी। इसका फायदा अपराधियों को तो मिल रहा था, साथ ही पुलिस की छवि दागदार हो रही थी। लेकिन लम्बे समय बाद राजधानी से अच्छी पुलिसिंग की शुरुआत हुई है। इसका संदेश न केवल प्रदेशभर में जा रहा है, बल्कि जनता के बीच भी खूब वाहवाही हो रही है। इसके पीछे राजधानी की कमान संभाले युवा आईपीएस डीआईजी अरुण मोहन जोशी की समय और जरूरत के हिसाब से अपनाई जा रही रणनीति है। कोरोना काल में न केवल उत्तराखंड बल्कि पड़ोसी राज्य में नजीर पेश करने के बाद अब डीआईजी जोशी ने हर पीड़ित की शिकायत पर समय पर न्याय दिलाने को सिटीजन चार्टर बना लिया है। इस सिटीजन चार्टर के हिसाब से पुलिस के पास आनी वाली हर शिकायत का निस्तारण होगा।

 

डीआईजी ने अफसरों को ये दिए निर्देश

पुलिस उपमहानिरीक्षक /वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी ने एसपी, एएसपी, सीओ के साथ आयोजित की गयी गोष्ठी के दौरान लम्बित शिकायती प्रार्थाना पत्रों की समीक्षा की। इस दौरान पुलिस के पास आने वाली शिकायतों को समयबद्ध निस्तारण हेतु कार्यविधि बनाये जाने हेतु निर्देशित किया। जिसके अनुपालन में लम्बित प्रार्थना पत्रों की अधिकता के दृष्टिगत प्रार्थना पत्रों के अंकित आरोपों एवं प्रार्थना पत्रों की सवेंदनशीलता के आधार पर उन्हें तीन अलग अलग श्रेणियों में बांटते हुए कार्यविधि तैयार की गई है। इन श्रेणी के मुताबिक ही शिकायतों का आगे से निस्तारण होगा।

प्रथम श्रेणी–

महिला सुरक्षा से संबंधित, आस-पडोस के झगडों, गरीब, शोषित व्यक्तियो के पैसों से सम्बधित, अनुमति संबंधित, ऐसे प्रार्थना पत्र जिसमे आवेदक द्वारा पुनः प्रार्थना पत्र प्रेषित दिया गया हो, वरिष्ठ नागरिकों के द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्रों, माननीय न्यायलय सम्बधित प्रार्थना पत्रों को रखा गया है।

निस्तारण-सम्बधित अधिकारी को 03 दिवस के अन्दर करना होगा।

द्वितीय श्रेणी–

आपसी रंजिश संबंधित प्रार्थना पत्रों, घोखाधडी, खाते से पैसा निकलने सम्बधित, घरेलू झगडे सम्बधित प्रार्थना पत्रों को रखा गया है।

निस्तारण- सम्बधित आधिकारी को 07 दिवस के अन्दर करना होगा।

तृतीय श्रेणी–

जमीन सम्बधित विवाद, बैंक फ्राड के संबंध में, साइबर सम्बधित, अन्य प्रार्थना पत्र जिनमें शिकायतकर्ता/विपक्षी गैर राज्य में हो, को रखा गया है।

निस्तारण- 15 दिवस के अन्दर करना होगा।

हर थाने में बनेगा नया रजिस्टर

डीआईजी ने प्रत्येक थाना प्रभारी को अपने थाने में एक निर्धारित प्रारूप में थाने पर अलग रजिस्टर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसमें प्रार्थना पत्र प्राप्ति की दिनांक, प्रार्थना पत्र का संक्षिप्त विवरण, प्रार्थना पत्र की श्रेणी व निस्तारण की अवधि , प्रार्थना पत्र की समय से निस्तारण न होने पर थाना प्रभारी, संबंधित क्षेत्राधिकारी व सम्बधित पुलिस अधीक्षक की कार्यवाही का विवरण अंकित किया जायेगा। थाने पर तैयार उक्त रजिस्टर का रख-रखाव की जिम्मेदारी वरिष्ठ उप निरीक्षक की होगी।

इनकी ये होगी जिम्मेदारी

रजिस्टर में दर्ज प्रार्थना पत्रों के समयबद्ध निस्तारण हेतु प्रत्येक दिन एक उप निरीक्षक नियुक्त किया जायेगा। उक्त रजिस्टर का थाना प्रभारी द्वारा प्रति दिवस, संबंधित क्षेत्राधिकारी द्वारा सप्ताह में दो बार तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रत्येक पन्द्रह दिवस में एक बार अवलोकन किया जायेगा।

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