आईएएस मयूर दीक्षित ने संभाला उत्तरकाशी के डीएम का चार्ज, आपदा से निपटने की रहेंगी ये चुनौतियां
–52वें डीएम के रूप में संभाली जिम्मेदारी, आशीष से बेहतर छवि और काम करने की चुनौती
वैली समचार, देहरादून।
आईएएस मयूर दीक्षित ने 52वें ज़िलाधिकारी के रूप में उत्तरकाशी की जिम्मेदारी संभाल ली है। सोमवार के दिन शिवनगरी से उन्होंने यह शुरुआत की है। ज़िले के अधीनस्थ अधिकारियों ने डीएम मयूर दीक्षित का स्वागत किया। वह राज्य में अभी तक साफ-सुथरी और ईमानदार छवि के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। यही कारण है कि उत्तरकाशी में अपने कामों से लोकप्रिय रहे निवर्तमान डीएम आशीष चौहान की जगह उन्हें मौका दिया गया।
भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2012 में 11वां स्थान प्राप्त करने वाले 2013 बैच के आईएएस मयूर दीक्षित ने आईआईटियन भी हैं। रुड़की में जॉइंट मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा और उधमसिंहनगर में मुख्य विकास अधिकारी की वह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इस दौरान विकास को नई दिशा देने के वह अहम भूमिका निभा चुके हैं। उधमसिंहनगर जिले के मुख्य विकास अधिकारी के पद पर अपने करीब डेढ़ वर्ष के कार्यकाल के दौरान उनका फोकस विकास कार्यों को गति देने में रहा। उनकी विकासोन्मुख प्रवृत्ति का ही परिणाम था कि जिले को मनरेगा के क्षेत्र में कई पुरस्कार प्राप्त हुए। सबसे खास बात तो यह है कि जल संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में इनोवेशन पहल के लिए मयूर दीक्षित को मुख्यमंत्री उत्कृष्टता एवं सुशासन पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। बहरहाल, उत्तरकाशी ज़िले में डीएम के रूप में उनकी पहली पारी है। ऐसे में उनसे ज्यादा उम्मीदें भी हैं। खासकर निवर्तमान डीएम आशीष चौहान ने न केवल नेताओं बल्कि आम जनता में भी अलग छवि कायम की थी। आशीष ने उत्तरकाशी में कई ऐसे कार्य किए जो स्थानीय नेेताओं की सोच से बाहर थे। हालांकि कोरोना को लेकर उनकी रणनीति सफल नहीं रह पाई। जिससे कई लोग उनसे नाराज भी रहे।
नए डीएम के सामने ये चुनौती
उत्तरकाशी के नए डीएम के सामने कोरोना संक्रमण रोकने के साथ आपदा, चारधाम यात्रा के सफल संचालन की बड़ी चुनौती रहेगी। इसके अलावा गंगा और यमुना घाटी में संतुलित विकास को धरातल पर उतारने की चुनौती रहेगी। इसके अलावा भाजपा के विधायकों के काम को गति देना और विपक्ष को साधने में अहम भूमिका निभाने पड़ेगी।