नियोजन समिति में जिला पंचायत अध्यक्ष शामिल करने की मांग

वैली समाचार, उत्तरकाशी।

जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने जिला पंचायतों में जिलाधिकारियों को प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन से योजनाओं के लिए धनराशि की स्वीकृति का अधिकार दिये जाने के राज्य मंत्रिमण्डल के निर्णय को अव्यवहारिक, लोकतंत्र विरोधी तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला फैसला बताया है। कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष जिला नियोजन समिति का पदेन उपाध्यक्ष तथा प्रभारी मंत्री पदेन अध्यक्ष होते हैं, ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष को भी शामिल किया जाना चाहिए।

जिला योजना से जो बचनबद्ध योजनाओं की धनराशि खर्च की जानी है उनमें युवा कल्याण विभाग को पीआरडी जवानों का वेतन, जल संस्थान को पानी के टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति करवाने जैसे अन्य नितांत अति आवश्यक धनराशि को दिए जाने पर आपत्ति नही है।परन्तु उक्त धनराशि को खर्च करने की प्रक्रिया में जिला पंचायत अध्यक्ष को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए था। राज्य मंत्रिमंडल को अपने फैसले में इस बात को भी इंगित किया जाना चाहिए था कि जिलाधिकारी द्वारा जिला नियोजन समिति के उपाध्यक्ष के अवलोकन के बाद ही पत्रावली को माननीय प्रभारी मंत्री से अनुमोदन कराया जाये। पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने राज्य मंत्रिमण्डल के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग जिला नियोजन समिति के चुनाव की आधी से ज्यादा प्रक्रिया पूरी कर चुका है और सिर्फ मतदान होना बाकी है
उन्होंने कहा कि जिला नियोजन समिति के सदस्यों के निर्वाचन हेतु 13 मार्च को नामांकन हुए 14 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच तथा 16 मार्च को नामांकन वापसी के दिन कुछ जिला पंचायतों में नाम वापसी के साथ कतिपय डीपीसी के सदस्य निर्विरोध भी निर्वाचित हुए हैं।

 

ऐसी बिगड़ी बात
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पहले 18 मार्च को मतदान की तिथि निश्चित की गई थी किंतु सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने पर 18 मार्च को सभी जिलों में “बातें कम, काम ज्यादा” कार्यक्रम किया जाना प्रस्तावित था। जिसमे सभी मंत्रियों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों समेत सभी स्थानीय जन-प्रतिनिधियों को भी मौजूद रहना था। जिसको देखते हुए निर्वाचन आयोग ने जिला नियोजन समिति के मतदान की तिथि 18 मार्च के स्थान पर 24 मार्च कर दी थी। परन्तु कोविड़-19 की वजह से राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान की तिथि को 24 मार्च के स्थान पर अग्रिम आदेशों तक के लिए टाल दिया था। भट्ट ने कहा कि भारत मे इस समय कोरोना के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं ।उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र जैसे राज्य में विधान परिषद के चुनाव सम्पन्न कराए जा सकते हैं तो उत्तराखण्ड में जिला नियोजन समिति के चयन के लिए मतदान क्यों नही किया जा सकता।

 

यहां भी गड़बड़

भट्ट ने यह भी कहा कि इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा कोरोना महामारी का हवाला देते हुए राज्य मंत्रिमण्डल में अध्यादेश के माध्यम से ग्राम प्रधानों के 105 रिक्त पदों पर प्रशासक बिठाने तथा पंचायत प्रतिनिधियों के 4951 पदों पर मनचाहे लोगों को नामित करने का निर्णय लेकर संविधान एवं लोकतंत्र विरोधी कार्य किया जा रहा है।

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