तलवारबाजी से सामने आया उत्तराखंड में खेल संघों का खेल, आईओए से उठाई जांच की मांग
-यूपी, दिल्ली और दूसरे जनपदों में रहने वाले नियम विरुद्ध संभाल रहे खेल संघों की जिम्मेदारी
-एक ही व्यक्ति के पास कई खेलों की जिम्मेदारी, एनएसडीसी 2011 के नियमों को ठेंगा
-एक का मामला खुला तो बता दी सभी की हकीकत, जांच हुए तो खुलेंगे बड़े राज
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड में खेल संघों के नाम पर दुकान चला रहे तथाकथित संघों की पोल खुलने लगी है। भारतीय तलवारबाजी संघ और खो खो संघ की जिम्मेदारी संभाल रहे वीरेश यादव से यह शुरुआत हो गई है। वीरेश यादव पर एनएसडीसी( नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड 2011) के नियमों के विरुद्ध दो दो फेडरेशन पर होने का आरोप है। वीरेश यादव मामला उजागर होने पर तलवारबाजी फेडरेशन से इस्तीफा देते हुए अन्य फेडरेशन और एसोसिएशन की पोल खोल दी। वीरेश ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि यहां एक दो नहीं चार चार संघों की भी जिम्मेदारी वालों की सूची लंबी है। नियम सिर्फ मेरे लिए या सभी के लिए, इसकी आईएओ को जांच करानी चाहिए। वीरेश ने जिस तरह से जांच की बात उठाई है, उससे साफ है कि उत्तराखंड में खेल संघों और खेल एसोसिएशन के नाम पर जमकर खेल चल रहा है।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को चमोली निवासी कीर्ति विजय सिंह रावत ने 5 मई को एक शिकायती पत्र लिखा। इस पत्र में कीर्ति ने आरोप लगाया कि वीरेश यादव उत्तरप्रदेश में सरकारी कर्मचारी है। बावजूद उत्तराखंड निवासी दर्शाकर दो दो खेल फेडरेशन और एसोसिएशन का पदाधिकारी बना है। आरोप है कि वीरेश यादव भारतीय तलवारबाजी एसोसिएशन के संयुक्त सचिव और भारतीय खो खो फेडरेशन का उपाध्यक्ष है। स्पोर्ट्स कोड के अनुसार उत्तराखंड निवासी ही पहले ज़िले से फिर राज्य और बाद में नेशनल स्तर पर फेडरेशन और एसोसिएशन का पदाधिकारी बन सकता है। लेकिन वीरेश यादव इस मानक पर कहीं भी खरा नहीं उतर रहा है। आईएओ को कीर्ति का पत्र मिला तो वीरेश यादव ने भी आनन-फानन में भारतीय तलवारबाजी एसोसिएशन से इस्तीफा दे दिया। मगर, इस्तीफा वाले पत्र में उत्तराखंड में ज़िले से लेकर राज्य और नेशनल स्तर पर जिम्मेदारी संभाल रहे फेडरेशन और एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर सवाल खड़े कर दिए। वीरेश यादव ने एफएआई और आईएओ को भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा कि एक दो नहीं यहां 3 से 4 फेडरेशन और एसोसिएशन की जिम्मेदारी एक एक व्यक्ति के पास है। वीरेश यादव ने दावा किया कि यदि ऐसे मामलों की जांच हुई तो वह कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी दे देंगे। उन्होंने सभी फेडरेशन, एसोसिएशन की तह तक जांच करने की मांग उठाई।
सरकारी कर्मचारी कैसे लड़ रहा चुनाव
कीर्ति विजय सिंह रावत ने आईएओ को भेजे गए पत्र में कहा कि यूपी में सरकारी कर्मचारी खेल एसोसिएशन का चुनाव लड़ रहे हैं। इसके लिए कोई एनओसी तक नहीं दी गई। उन्होंने वीरेश यादव के चुनाव को चुनौती देते हुए शपथ पत्र को भी गलत बताया है।
ऐसे में कैसे निखरेगी खेल प्रतिभाएं
उत्तराखंड में कभी खिलाड़ियों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैठ होती थी। यहां चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी जैसे ठेठ पहाड़ी ज़िलों से भी खेल प्रतिभाएं सामने आती थी। लेकिन अब खेल की दुकानें तो बढ़ी लेकिन खेलने वाले खिलाड़ी गिनेचुने ही है। यहां तक कि सरकारी खर्चे पर भी तैयार होने वाले खिलाड़ियों का रिजल्ट जगजाहिर है। इसके पीछे असली वजह खेल फेडरेशन चलाने वाले जिम्मेदार हैं।
...तो खेल विभाग का ही संरक्षण
कायदे से तो खेल गतिविधियों को संचालित कराने वाले फेडरेशन, एसोसिएशन पर खेल विभाग की नज़र होनी चाहिए थी। लेकिन खेल विभाग नियम विरुद्ध एसोसिएशन और फेडरेशन चलाने वालों पर क्यों नहीं कार्रवाई करता, इस पर सवाल उठना लाजमी है। इससे यह भी स्पष्ट है कि खेल विभाग के कुछ लोगों का ऐसे तथाकथित पदाधिकारी को संरक्षण होगा।
नियम सिर्फ मेरे लिए नहीं होने चाहिए। यहां 3 से 4 फेडरेशन और एसोसिएशन भी एक एक व्यक्ति के पास हैं। सभी की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ताकि हकीकत सामने आ सके। मैं जांच में सहयोग करने को राजी हूं। लेकिन कार्रवाई सभी पर होनी चाहिए।
वीरेश यादव, उपाध्यक्ष भारतीय खो खो एसोसिएशन
वीरेश यादव यूपी में सरकारी कर्मचारी है। ऐसे में उत्तराखंड में कैसे पदाधिकारी बन गया। यही नहीं स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक एक व्यक्ति दो पदों पर नहीं रह सकता है। यदि वीरेश ने एक पद से इस्तीफा भी दिया तो पहले कैसे पदाधिकारी बन गया। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। मैंने आईओए को लिखित शिकायत दी गई है। यदि निष्पक्ष जांच न हुई तो कोर्ट जाने को बाध्य होना पड़ेगा।
कीर्ति विजय सिंह रावत, शिकायतकर्ता
अभी यह प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। फेडरेशन का पदाधिकारी कोई भी बन सकता है। बशर्ते एनओसी लेनी जरूरी है। नेशनल स्तर पर पदाधिकारी बनने से पहले भारतीय ओलंपिक संघ को भी जानकारी दी जानी अनिवार्य है। एसोसिएशन की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पर होती है।
राजीव मेहता, महासचिव भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन