क्या वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट आज लेगी फैसला ? तीन प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने बहस के दौरान कानून से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दों का जिक्र किया। पहला है वक्फ बाय यूजर का मुद्दा दूसरा है वो प्रावधान जिसमें उन संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा यदि उस पर सरकारी भूमि होने का दावा किया जाता है। तीसरा प्रावधान है वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की प्रधानता।
वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर की गई 70 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। करीब दो घंटे तक मामले पर बहस चली। आज यानी गुरुवार को भी इस मामले पर सुनवाई होगी।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकीलों ने बुधवार को कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें दी। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में मौजूद थे।
सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं, वहीं केंद्र सरकार ने भी कानून के बचाव में अपना पक्ष रखा।
इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल भी किए। गौरतलब है कि वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने बहस के दौरान कानून से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दों का जिक्र किया।
पहला है वक्फ बाय यूजर का मुद्दा, दूसरा है वो प्रावधान, जिसमें उन संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा यदि उस पर सरकारी भूमि होने का दावा किया जाता है। तीसरा प्रावधान है वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की प्रधानता।
पहला मुद्दा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की वो है ‘वक्फ बाय यूजर’।
बुधवार को सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी लगातार ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्ति का जिक्र कर रहे थे। अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाय यूजर’ के तौर पर रजिस्टर है। सिंघवी ने आगे दलील दी और इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
अब समझते हैं ये प्रावधान क्या है। दरअसल, ‘Waqf By User’ एक परंपरा है, जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।
कपिल सिब्बल ने कहा,‘वक्फ बाय यूजर’ वक्फ की एक शर्त है। इसको ऐसे समझिए कि मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं कि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्या क्या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के लिए क्यों कहेगी?
बता दें कि नए कानून के तहत, यदि जिला कलेक्टर किसी संपत्ति को सरकारी जमीन के रूप में पहचानता है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, जब तक कि कोर्ट इसका अंतिम निर्णय न दे। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई और कहा कि कलेक्टर की जांच के दौरान संपत्ति का वक्फ दर्जा खत्म नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने आगे प्रस्ताव दिया कि कलेक्टर जांच कर सकता है, लेकिन उसका प्रभाव तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि अंतिम निर्णय न हो
दरअसल, नए कानून में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है, जिसे कोर्ट ने धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ माना।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा, “क्या आप हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देंगे?” कोर्ट ने सुझाव दिया कि बोर्ड और काउंसिल के स्थायी सदस्यों को मुस्लिम होना चाहिए, हालांकि एक्स-ऑफिशियो सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।