CAA प्रदर्शनों के बीच बोले प्रणब मुखर्जी, आंदोलनों की लहर लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाएगी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सुनना, तर्क करना और असहमति को लोकतंत्र की खुशबू बताया है। उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर चल रहे मौजूदा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुके हैं। पूरा विश्वास है कि विरोध प्रदर्शन की इन लहरों से भारतीय लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
चुनाव आयोग की तरफ से गुरुवार को आयोजित प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान में बतौर वक्ता पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र हर परीक्षा में खरा उतरा है। सहमति किसी भी लोकतंत्र के लिए जीवनदायी खून की तरह महत्वपूर्ण होती है।
युवाओं की राय भी महत्वपूर्ण
देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों का स्पष्ट हवाला देते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में लोगों को घरों से निकलकर सड़कों पर आते हुए देखा गया है। खासकर युवाओं को, जिन्होंने मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रखे हैं। मेरी नजर में उनकी राय भी महत्वपूर्ण है। संविधान को लेकर उनकी अभिव्यक्ति और विश्वास मन को प्रसन्न करने वाला है।’ उल्लेखनीय है कि इन प्रदर्शनों में कई जगहों पर हिंसा भी हो चुकी है।
चुनाव को बदनाम करने की कोई भी कोशिश से चुनाव प्रक्रिया होगी बदनाम
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि चुनाव आयोग अपना काम बेहतर तरीके से कर रहा है और उसे बदनाम करने की कोई भी कोशिश पूरी चुनाव प्रक्रिया को बदनाम कर देगी। उन्होंने कहा कि कोई संस्थान कैसा काम करता है, यह वहां काम करने वाले लोगों पर निर्भर करता है। चुनाव आयोग ने पूरी तरह से संस्थागत अखंडता सुनिश्चित की है।
संस्थाओं ने किया सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पुनरुत्थान का नेतृत्व
सीएजी, आरबीआइ, यूपीएससी और नीति आयोग जैसे संस्थानों ने भारत के सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक पुनरुत्थान का काम किया है। उन्होंने कहा कि वैसी अटकलों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए जो लोकतंत्र के आधार को चुनौती देती हैं। जनादेश किसी भी संदेह से कहीं ऊपर है।
चुनाव आयोग ने देश की सेवा की
उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में अपने साथियों की तरह चुनाव आयोग ने अपने उद्देश्य के अनुसार अच्छी तरह से सेवा की है और इसके बदनाम करने का कोई भी प्रयास चुनावी प्रक्रिया को बदनाम करने के लिए होगा। मुखर्जी ने कहा कि हमारे लोकतंत्र के आधार को चुनौती देने वाली अटकलों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है।
लोकसभा व विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराने पर बने सहमति
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि आदर्श आचार संहिता से दैनिक प्रशासनिक काम बाधित होते हैं। लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव एकसाथ कराना इसका समाधान हो सकता है, लेकिन इसके लिए सहमति और संवैधानिक संशोधन जरूरी है। एक विकल्प यह भी है कि आदर्श आचार संहिता में संशोधन किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान विकास कार्य प्रभावित न हों।