दशहरा पर्व पर त्रिवेणी घाट पर 50 फीट का रावण के पुतले का होगा दहन
दशहरा पर्व पर इस बार त्रिवेणी घाट पर 50 फीट के रावण, 45-45 फीट के कुंभकरण और मेघनाद के पुतले का दहन होगा। मुजफ्फरनगर से आई टीम ने 5 अक्तूबर को आयोजित दशहरा पर्व की तैयारियों को लेकर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले तैयार किए हैं।
बीते डेढ़ महीने से इनकी टीम इन पुतलों को बनाने में जुटी हुई थी। इसके अलावा टीम ने दुर्गा मंदिर स्थित आईडीपीएल मैदान के लिए 60 फीट के रावण का पुतला तैयार किया है। लक्ष्मणझूला स्थित किरमोला घाट के लिए टीम के कारीगरों ने 50 फीट रावण और 25-25 फीट के कुंभकरण और मेघनाद का पुतला तैयार किया हुआ है। 5 अक्टूबर की सुबह इन सभी पुतलों को निर्धारित स्थानों पर खड़ा कर दिया जाएगा। मोतीमहल सराफा बाजार मुजफ्फरनगर निवासी सफीक अहमद ने बताया कि वर्ष 1964 से उनके वालिद रियाजुद्दीन रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बनाते थे। जब वह और उनके भाई रफीक अहमद छोटे थे तो वह भी यहां आकर अपने पिता के इस काम में हाथ बंटाते थे। पिता की मौत के बाद फिर उन्होंने इन पुतलों को बनाने की जिम्मेदारी ली। वर्ष 1990 से वह दोनों भाई अपनी टीम के साथ यहां पुतला बना रहे हैं। करीब तीन दशक से वह हर बार दशहरा पर्व पर ऋषिकेश के अलावा अन्य जगहों के लिए भी रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला तैयार करते हैं। कहा इस बार भी उन्होंने त्रिवेणी घाट के लिए करीब सवा लाख रुपये की लागत से तीन पुतले तैयार किए हैं। पुतला बनाने की कला उन्हें पिता की ओर से विरासत में मिली है। इसी से उनका रोजगार चलता है।
सुभाष क्लब दशहरा कमेटी के कार्यक्रम संयोजक राहुल शर्मा ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से अभी गंगा घाटों की छूकर बह रही है। जिसके कारण हर बार की तरह इस बार दशहरा पर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को निर्धारित स्थान पर खड़ा करना मुमकिन नहीं है। इस बार इन पुतलों को नाव घाट के समीप खड़ा किया जाएगा। कहा कि कोरोनाकाल के चलते बीते दो वर्षों से दशहरा पर्व पर इतने बड़े पुतलों का दहन नहीं किया गया। उस समय प्रतिकात्मक रूप से छोटे-छोटे पुतले बनाकर उन्हें गंगा में प्रवाहित किया गया था। अब कोरोनाकाल में छूट होने के कारण फिर पहले जैसे ही पुतले तैयार किए गए हैं, जिन्हें हर बार की तरह मुजफ्फरनगर के कारीगरों ने बनाया है।