सीएम धमी ने कहा वीर सैनिकों के सम्मान से देश का सम्मान व स्वाभिमान बढ़ा है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वीर सैनिकों के सम्मान से देश का सम्मान व स्वाभिमान बढ़ा है। सैनिक कभी भी पूर्व नहीं होता, वह हमेशा वीर सैनिक बना रहता है। राज्य में सैनिकों को सम्मान देने की परंपरा को आगे भी बरकरार रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सेना को दिए गए सम्मान की परंपरा का प्रतिफल है कि आज सभी सेना का सम्मान करने के लिए मजबूर हुए हैं।
गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजय दिवस पर मुख्यमंत्री आवास में आयोजित सैनिक सम्मान कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल प्रत्येक पूर्व सैनिक को शाल भेंटकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की महानता तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की शुभकामनाओं का प्रतिफल है कि एक सैनिक के बेटे को मुख्य सेवक के रूप में कार्य करने का अवसर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सैन्य बलों की मजबूती और उन्हें आवश्यक सुविधाएं देने एवं साज सम्मान उपलब्ध कराने, वन रैंक, वन पेंशन की सुविधा देने के साथ ही जवानों को गोली का जवाब गोली से देने की छूट देकर सैनिकों को उनका वास्तविक सम्मान व श्रेय देने का कार्य किया है। आज देश की सेना दुश्मनों के घर जाकर उसे जवाब देती है। सशक्त एवं मजबूत सेना के कारण दुनिया में देश का हौंसला बुलंद हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश का स्वाभिमान बढ़ रहा है। उन्होंने अपने जीवन में अनुशासन सेना से सीखा है। सैनिकों के कल्याण के लिए जो भी जरूरी होगा, उसके लिए वह सदैव तत्पर रहेंगे।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत का स्मरण कर उन्हें नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल रावत सैनिक कल्याण के हिमायती थे। जनरल रावत के साथ उन्होंने देहरादून, लैंसडौन, बनबसा व रानीखेत में पूर्व सैनिकों के कल्याण से संबंधित कार्यक्रम निर्धारित किए थे। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड वीर सैनिकों की भूमि है। सैनिक होना गर्व की बात है। आज देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों में सुरक्षित है। प्रदेश में प्रधानमंत्री की भावना के अनुरूप भव्य सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद के अलावा मेजर जनरल एस सब्बरवाल (सेनि) व बिग्रेडियर केजी बहल (सेनि) समेत बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक उपस्थित थे।