पहाड़ की लोकविदा जागर, छोलिया नृत्य और ढोल सागर से गूंज उठी द्रोण नगरी
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड की विरासत से जुड़े पारंपरिक वाद्य यंत्रों और लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति से आज द्रोण नगरी गूंज उठी। इस मौके पर पिथौरागढ़ की जोहर घाटी के जागर, अल्मोड़ा के छोलिया नृत्य, उत्तरकाशी के मोरी के लोक नृत्य, टिहरी, रुद्रप्रयाग और चमोली के ढोल सागर की मन की छूती प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। इस दौरान कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने आयोजन की दिल खोलकर तारीफ की।
उत्तराखंड ही नहीं आधे उत्तरप्रदेश तक लोकप्रिय डॉक्टर और चारधाम अस्पताल के संचालक डॉ केपी जोशी ने उत्तराखंड में विलुप्त होती लोकविदा और उपेक्षा झेल रहे कलाकारों के सम्मान में उत्तराखंड विरासत कार्यक्रम आयोजित किया। रेंजर्स ग्राउंड में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का आज विधिवत शुरुआत हुई। इस मौके पर उत्तराखंड विरासत में पहाड़ के विभिन दूरस्थ इलाकों से आए कलाकारों ने ढोल, दमाऊ, रणसिंगा, मस्क बीन बजाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। राज्य के पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज से आयोजन स्थल में बैठे लोगों ने जमकर कार्ययक्र का लुत्फ उठाया। लोक वाद प्रस्तुतीकरण एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी सम्मान समारोह 2021 का शुभारंभ देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा और उनकी पत्नी शोभा उनियाल ने किया।
जोहरघाटी के जागर और छोलिया नृत्य ने मनमोहा
इस दौरान ढोल की थाप के बीच नंदा देवी राजजात यात्रा निकाली गई। ढोल की थाप पर एक से बढ़कर एक ताल सुनकर दर्शक भावविभोर हो गए। कुमाऊँ की जोहार घाटी के कलाकारों ने जागर गायन प्रस्तुत किया। वहीं छोलिया नर्तकों की टीम ने वाद्यों यंत्रों के साथ छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डौंर थाली के साथ चमोली व अन्य जिलों से आये जागरी ने मनमोहक जागर गायन प्रस्तुत किया। जिसने यहां मौजूद दर्शकों का खासा ध्यान खींचा। इस मौके पर मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि चारधाम अस्पताल के निदेशक डॉ केपी जोशी की ओर ये कार्यक्रम कराकर पहाड़ की संस्कृति को बढ़ाने के लिए अच्छा कदम है। इस मंच में पहाड़ के वाद्य यंत्रों से जुड़े कलाकारों का इकट्ठा होना बड़ा अच्छा लगा है। युवा पीढ़ी को हमारे पहाड़ की संस्कति के बारे में पता होना चाहिए। वाद यंत्र से जुड़े कलाकारों का सम्मान ही बहुत जरूरी है।
लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी और प्रीतम ने बढ़ाई शोभा
लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि जिस लोक संस्कृति को बचाए रखने के लिए अलग राज्य बना। उसका संरक्षण किया जाना जरूरी है। उसे बचाए रखना जरूरी है। प्रदेश के नागरिकों की ओर से हर स्तर पर इसके प्रयास होने चाहिए। पदमश्री डॉ प्रीतम भरतवाण ने कहा कि ढोल वादक ढोली बचेगा तो ढोल बचेंगे, हमारी लोक संस्कृति बचेगी। प्रत्येक स्तर पर ढोली का सम्मान हो। अस्पताल के निदेशक डॉ केपी जोशी ने खस की पहाड़ की संस्कृति को बढ़ाने के उद्देश्य से ये कार्यकम कराया गया है। रविवार को भी बाघ यंत्रों से जुड़े कलाकारों का प्रस्तुतिकरण जारी रहेगा। फिर कल ही सभी का सम्मान कर पुरुस्कृत किया जाएगा।
कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन गणेश कुकशाल गणि, अजय जोशी व बीना बेंजवाल ने किया। इस अवसर पर डीजीपी अशोक कुमार, एसटी आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्व आईपीएस जीएस मर्तोलिया, उधोग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अशोक वर्मा, डॉ नंदकिशोर हटवाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, डॉ महेश कुड़ियाल, डॉ विपुल कंडवाल, डॉ अजीत गैरोला, डॉ एनएल अमोली आदि मौजूद रहे।