उत्तराखंड में लाखों के फर्जी एलटीसी घोटाले में कोर्ट ने दिए दोबारा जांच का आदेश
वैली समाचार, देहरादून।
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में लाखों के फर्जी एलटीसी (लीव ट्रैवल कांशेन्स) (Leave Travel Concession) घोटाले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने पुलिस की चार्जशीट को खारिज कर दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस आदेश से पुलिस के जांच अधिकारी समेत घोटाले में आरोपित विश्वविद्यालय के 113 शिक्षकों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। कोर्ट के आदेश पर यदि आगे सही जांच हुई तो फर्जी एलटीसी घोटाले के आरोपियों पर कानून का कड़ा शिकंजा कस जाएगा। साथ ही विश्वविद्यालय को नियम विरुद्ध लाखों का चूना लगाने वाले गिरोह का भी खुलासा होगा।इधर, कोर्ट में वादी ने प्रकरण की विवेचना कर रहे पुलिस अधिकारी के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जांच में घोर लापरवाही बरतने की बात कही। मामले में अब श्रीनगर कोतवाल को नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी चंद्रेश्वरी सिंह की कोर्ट में आज संतोष ममगाईं बनाम एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय अधिकारीगण, कर्मचारीगण मामले में पुलिस द्वारा पेश की गई एफआर यानी अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई हुई। जानकारी के अनुसार वादी ने जनवरी 2016 में पुलिस कमिश्नर नई दिल्ली, सीबीआई आदि को शिकायत की थी कि विश्वविद्यालय के करीब 113 शिक्षकों, कर्मचारियों ने फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये का एलटीसी प्राप्त किया है। इस शिकायत पर एसएसपी पौड़ी ने फरवरी 2016 में मामले को संगीन मानते हुए मुकदमे के आदेश दिए। इस मामले में सीबीआई ने भी प्राथमिक जांच में 13 कर्मचारियों के एलटीसी में करीब 7 लाख से अधिक का घपला पकड़ा और रिपोर्ट विश्वविद्यालय को कार्रवाई को भेजी गई। विश्वविद्यालय ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। लेकिन जांच शुरुआत से ही कछुआ गति से आगे बढ़ी। करीब 4 साल तक जांच में कभी कोर्ट को रिपोर्ट देरी से दी गई तो कभी साक्ष्य जुटाने में लापरवाही की गई। अब पुलिस ने कोर्ट ने मामले में अंतिम रिपोर्ट दी तो पूरे जांच सवालों में घिर गई। वादी ने भी पुलिस की एफआर पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोपी लगाए। अब मामले में कोर्ट में मामले में सुनवाई हुई तो घपले से जुड़े कई सवाल अनुत्तरित पाए गए। इस पर कोर्ट ने मामले में पुलिस की एफआर को अस्वीकार करते हुए श्रीनगर कोतवाल को मामले में नए सिरे से विवेेेचना के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने ऐसा पकड़ा गया पुलिस का झूठ
विश्वविद्यालय के करीब 113 शिक्षकों और कर्मचारियों ने एलटीसी का लाभ प्राप्त किया। पुलिस ने 90 लोगों के मामले में जांच की गई। पुलिस के अनुसार ज्यादा एलटीसी प्राप्त करने पर 56 लोगों ने 2020 में करीब 49 लाख रुपये विश्वविद्यालय में जमा कराया गया। जबकि हकीकत में 52 लोगों ने यह रकम जमा कराई। वादी का आरोप है कि जब फर्जी एलटी प्राप्त करना स्वीकार कर लिया और कई साल तक विश्वविद्यालय का पैसा अपने पास रख लिया तो फिर फर्जी एलटीसी से प्राप्त धनराशि को जमा करने से अपराधी बच नहीं सकते। इसी तरह 113 लोगों के मामले में 90 लोगों की आधा अधूरी जांच, 56 में से 52 लोगों द्वारा एलटीसी जमा करने जैसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एयर टिकट जारी करने वाली कंपनी, एजेंट, समेत पूरे गिरोह की स्पष्ट जानकारी भी पुलिस जांच में नहीं आई। जिससे पूरे प्रकरण में ऐसा लगता है कि दाल में कुछ काला है।