उत्तराखंड के डीजीपी का फरमान, चालान नहीं ट्रैफिक व्यवस्था पर ध्यान दे ट्रैफिक पुलिस

वैली समाचार, देहरादून। 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात के बाद उत्तराखंड के डीजीपी सीधे राजधानी देहरादून के एसएसपी दफ्तर पहुंचे। जहां डीजीपी स्पष्ट किया कि ट्रैफिक पुलिस को चालान का कोई टारगेट नहीं दिया जाता है। ट्रैफिक पुलिस चालान की बजाय शहर में व्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था पर ध्यान दें। साथ ही थाना और चौकी पुलिस भी गलत पार्किंग और ट्रैफिक पर कार्रवाई करें।

उल्लेखनीय है मुख्यमंत्री धामी ने आज ही डीजीपी से कहा कि ट्रैफिक के नाम पर वेबजह किसी चालक को पुलिस परेशान न करें। इसका असर यह हुआ कि डीजीपी सीधे देहरादून राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था की समीक्षा करने दून एसएसपी दफ्तर पंहुच गए। यहां डीजीपी अशोक कुमार ने ट्रैफिक व्यवस्था पर मातहतों की क्लास ली। डीजीपी अशोक कुमार ने अधीनस्थों से दो टूक कहा कि किसी भी वाहन या व्यक्ति का चालान काटने का कोई टारगेट जैसा न तो कोई आदेश है न व्यवस्था है। चालान सिर्फ व्यवस्था सुधार का माध्यम है। उन्होंने कहा कि चालान से लोगों को अधिकारों के प्रति सजग किया जाता है। ताकि वह भविष्य में नियम न तोड़े। लेकिन पुलिस बेवजह चालान न करें। चालानो की बजाय व्यवस्था सुधार पर फोकस किया जाए। डीजीपी ने कहा कि राजधानी में पूर्व में चिन्हित पार्किंग पर एमडीडीए के साथ काम करें। अंडरग्राउंड और दूसरी पार्किंग पर ट्रैफिक पुलिस ध्यान दें। जबकि अतिक्रमण कर पार्किंग करने वालों पर थाना और चौकी पुलिस सख्त कार्रवाई करें। डीजीपी के इस फरमान से ट्रैफिक पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है। खासकर गली मोहल्ले में चालान काटकर अपनी वाहवाही लूटने वाली सीपीयू अब परेशान नज़र आ रही है।

 

सीपीयू के नाम नहीं कोई बड़ा काम

उत्तराखंड में इंटरपोल जैसी ड्रेस और सज्जो समान वाली सीपीयू (सिटी पेट्रोल यूनिट) के नाम पर उत्तराखंड में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। अपराध रोकने, ट्रैफिक व्यवस्था बनाने समेत अन्य कार्य मे भी सीपीयू का कोई बड़ा योगदान नहीं है। सिर्फ गलियों में पीछा कर चालान करना ही सीपीयू अपना काम समझती है। व्यवहारिकता के नाम पर तो सीपीयू को प्रशिक्षण देने की जरूरत है।

 

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