उत्तराखंड में चरस तस्करी में दो पुलिस सिपाही समेत चार गिरफ्तार
रक्षक बने भक्षक
उत्तराखंड में पुलिस वाले भी अवैध धंधों में लिप्त हैं। खासकर नशे की तस्करी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। दो माह पूर्व हरिद्वार में नारकोटिक्स सेल के दो सिपाही नशे तस्करी गैंग में शामिल मिले। जिन्हें खुलासे के बाद सस्पेंड कर दिया था। अब कुमाऊं रेंज में भी दो सिपाही आठ किलो चरस तस्करी में गिरफ्तार किए गए। इससे नशा तस्करी रोकने में पुलिस वालों की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है।
पिथौरागढ़ पुलिस लाइन में तैनात आर्म्ड पुलिस के दो सिपाहियों को गत दिवस किच्छा पुलिस ने 8 किलो चरस के साथ गिरफ्तार किया है। इस सूचना के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार किच्छा पुलिस ने लालपुर मजार के पास चेकिंग के दौरान दो कारों को रोका। चेकिंग पर इन कारों में 1 किलो 7 किलो चरस रखी मिली। कार सवार लोहाघाट निवासी दीपक पांडेय और खटीमा के प्रभात बिष्ट ने बताया कि वह उत्तराखंड पुलिस में सिपाही हैं। जबकि खटीमा के विपुल सैल के पिता नैनीताल पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं। कार में चौथा आरोपी पीयूष खड़ायत खटीमा का रहने वाला है। पुलिस सिपाहियों की चरस तस्करी ने पूरे महकमे पर दाग लगा दिया है। खासकर ड्रग तस्करों की कमरतोड़ कार्रवाई में जुटी एसटीएफ और पुलिस की दूसरी शाखाओं को तस्करी में शामिल पुलिसवालों से कई बार परेशानियों से जूझना पड़ता है। सूचनाएं लीक होने से बड़े तस्कर कई बार पुलिस से बच निकलते हैं। तस्करी और अपराध में लिप्त पुलिस वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।