उत्तराखंड में वेतन नहीं सिर्फ काम के बोझ से दब रही पुलिस, नए आदेश से दिख रही नाराजगी

वैली समाचार, देहरादून। 

उत्तराखंड में पुलिस सिर्फ काम के बोझ तले दबे रही है। वेतन और सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। अभी वेतनमान का मुद्दा ठंडा भी नहीं हुआ कि पुलिस कर्मियों की ड्यूटी श्मशान घाट में लगाने सम्बन्धी आदेश ने फिर पुलिस फोर्स के बीच नाराजगी का माहौल बनने लगा है। दबी जुबान से पुलिस कर्मी कह रहे हैं कि दोगुनी तनख्वाह और सुविधा लेने वाले राजस्व कर्मी, शिक्षक समेत अन्य मौज काट रहे हैं। ऐसे में पुलिस कर्मियों ने अब आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या पुलिस वालों को जिंदगी प्यारी नहीं है।

उत्तराखंड में कोरोनाकाल में लड़ी जा रही कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में पुलिस, होमगार्ड, पीआरडी जवानों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों तक ही व्यवस्था सीमित हो गई है। इन्हीं विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लोगों की मदद के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं को लेकर लगाई जा रही है। वहीं, राजस्व जैसे मैनपॉवर वाले विभाग, शिक्षा सहित अन्य सरकारी विभागों के तमाम कर्मचारी वर्क फ्राम होम के चलते घर पर मौज कर रहे हैं। इसके बावजूद अन्य विभागों से कम वेतन लेने के बावजूद पुलिस, होमगार्ड, पीआरडी जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर ड्यूटी पर मुस्तैद हैं। अभी तक कानून व्यवस्था में बिजी रहने वाले इन जवानों को अब कई नई जिम्मेदारी मिली है। पीआरडी जवान कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन वाले मरीजों को घर घर कोरोना किट भी पहुंचा रहे हैं। वहीं, पुलिस कर्मी मुसीबत में फंसे लोगों की मदद तक कर रहे हैं। यही नहीं, कई बार तो जरूरत मंद को अपनी जेब हल्की कर राशन और दवा तक पहुंचाई जा रही है। लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर तक पहुंचाने के हर दिन कई मामले सामने आ रहे हैं। अब पुलिस, पीआरडी, होमगार्ड कर्मियों की श्मशान घाट में ड्यूटी लगाने के आदेश भी जारी किए गए हैं। पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर आदेश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण से मृत हुए व्यक्तियों के परिवारजनों को मृतक का अंतिम संस्कार करने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में सभी अपने जिलों में व्यवस्था बनाने के लिए जिलाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर दाह संस्कार स्थल चिह्नित करें। साथ ही आवश्यकतानुसार पीपीई किट युक्त पुलिस कर्मी, होमगार्ड, पीआरडी जवानों की ऐसे स्थलों पर तैनाती की जाए। पुलिस में पहले से ही वेतनमान कटौती से इन कर्मियों में असंतोष है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग में भी उपनल के जरिये कम वेतन में लोग काम कर रहे हैं। घर घर आशा कार्यकर्ता भी जा रही हैं। होमगार्ड और पीआरडी का मानदेय भी मामूली है। वहीं, दूसरे विभागों में 50 हजार से लेकर एक लाख तक वेतन पा रहे लोग इस कोरोनाकाल में घर बैठे हैं।  कुछ का कहना है कि वे तो कोरोना की जंग में अपना योगदान दे रहे हैं और देते रहेंगे। साथ ही दूसरे विभागों के कर्मचारियों की भी ऐसे कार्यों में भूमिका दी जानी चाहिए। ताकी कोरोना के खिलाफ सामूहिक रूप से जंग को जीता जाए।

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