देहरादून सीबीआई कोर्ट ने रिश्वतखोर लेफ्टिनेंट कर्नल को सुनाई 10 साल की सजा

-एमईएस के कर्मचारी मनीष को रिश्वतखोरी में मिलीभगत होने पर पांच साल की सजा

-ठेकेदार हरेंद्र के निर्माण कार्यों के बिलों के भुगतान के एवज में मांगी थी रिश्वत

वैली समाचार, देहरादून। 

देहरादून सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने भ्र्ष्टाचार से जुड़े मामले में एमईएस के लेफ्टिनेंट कर्नल समेत दो को सजा सुनाई है। दोनों आरोपियों पर 65 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना न देने पर दोनों को अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। कोर्ट ने सभी सजाएं एक साथ चलने के आदेश दिए हैं।

रायपुर स्थित आईआरडीई के एमईएस ब्रांच (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस) में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल भारत जोशी निवासी विज्ञान विहार रायपुर मूल निवासी ग्राम पोखरा पौड़ी और मनीष सिंह निवासी आईआरडीई परिसर मूल निवासी गार्डन एस्टेट सेक्टर 22 द्वारिका नई दिल्ली को 10 हजार रिश्वत लेते 8 जुलाई 2016 को गिरफ्तार किया था। सीबीआई के वकील सतीश गर्ग के अनुसार मामले में सीबीआई ने 27 सितंबर 2017 को चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन पक्ष ने 14 गवाह और पुख्ता सबूत पेश किए। वहीं आरोपी की तरफ से 10 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। आज स्पेशल जज सीबीआई कोर्ट सुजाता सिंह ने मामले में दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल भारत जोशी को अलग अलग धाराओं में 5 साल 5 हजार जुर्माना, 7 साल 25 हजार जुर्माना और 10 साल 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। इसी तरह आरोपी मनीष को 5-5 साल की सजा और 5-5 हजार रुपये कुल 15 हज़ार जुर्माने की सजा सुनाई है।

 

क्या था पूरा मामला

लेफ्टिनेंट भारत जोशी ने कुल अनुबंध राशि के 1.5% की दर से Rs.38000 की रिश्वत ठेकेदार हरेन्द्र सिंह से 4.7.2016 को RAR बिल का 2% की मांग की। शिकायतकर्ता ने 4.7.2016 को भरत जोशी को 1,0000 रुपये रिश्वत दी और उन्होंने अपनी व्यक्तिगत डायरी में यह प्रविष्टि लिखी। शिकायतकर्ता ने 4.7.16 को एसडी कार्ड में उनके और भरत जोशी के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया। शिकायतकर्ता ने 6.7.2016 को सीबीआई को एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की। भारत जोशी के खिलाफ 8.7.2016 को एफआईआर दर्ज की गई थी। भरत जोशी ने शिकायतकर्ता को मनीष के कार्यालय कक्ष में 8.7.16 फोन पर 10000 रुपये रिश्वत देने के लिए आमंत्रित किया। मनीष और भरत जोशी मनीष के कमरे में मौजूद थे, जब शिकायतकर्ता 8.7.16 को उनसे मिले। भरत जोशी ने रिश्वत की मांग की और मनीष ने शिकायतकर्ता और भरत जोशी को एक समय में रिश्वत की राशि देने के लिए उकसाया। भरत जोशी को सीबीआई ने रंगे हाथों पकड़ा था। एमपी रिकॉर्डर में वार्तालाप रिकॉर्ड किया गया था।

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