उत्तराखंड की अनूठी प्रेमगाथा का संगम है एलबम “एक प्रेम इन बि….”

गढ़वाली भाषा में मन को छूती प्रेमगाथा पर बनी एलबम को खूब कर रहे पसंद

-पहाड़ के गीत, संगीत और सुंदरता के साथ मानवीय चेहरे को एलबम में दर्शाया गया 

गजेंद्र नौटियाल, देहरादून। 

सब कुछ लाजवाब ! गीत के बोल से, संगीत से, गायन से या फिल्मांकन से कहां से शुरु करुं, ये समझ नहीं आ रहा है! हां लम्बे समय बाद गढ़वाळी भाषा में कोई गीत का ऐसा सुंदर एलबम आया है जिसे आप सभी देखना पसंद करेंगे।
‘‘यु प्रेम जनु नौ नवांण‘‘ एलबम के निर्देशक प्रसिद्ध रेडियो उद्धोषक विनय ध्यानी की आवाज में संवादों से गीत की शुरुवात होती है। इस एलबम के गीत लेखक, गायक और अभिनेता योगेश सकलानी स्पोर्ट साइकिल चलाते अवतरित होते हैं, कई तरह के संदर्भों को समेेटे। पहाड़ों के पास फैले तराई के गांवों की सुंदरता के साथ निर्देशक अभिनेता को बार बार अलग-अलग सवारी लेकर हरे भरे गांव के साथ चलती सड़क किनारे खुलती एक घर की खिड़की की तरफ झांकते दिखाता है। खिड़की पर एक लड़की बैठी है जो एक युवा की बेचैन आंखों का एहसास करते हुए कभि मुस्कराती है कभी झिझकती है, कभी मौन एक टक्क देखते रहती है। मौसम की अंगड़ाई के साथ दोनों के लिबासों के शेड्स बदलते हैं और मन की कल्पनाओं के साथ विचरण करने लगते हैं।
तराई के गांवों का सहज लोक जीवन समेटते निर्देशक गीत को आगे बढ़ाते चलता है। सड़क पर टेबल लगा है और बच्चे-युवक कैरमबोर्ड खेल रहे हंै। लगता है जैसे गांव के छोरे नायक नायिका के इस मिलन-बिछुड़न को लक्ष्य लेते गोटी पर निशाना साध रहे हों पर कहीं छोर ना पा रहे हों। नायक हर दिन मुलाकात में नई-नईं कल्पनाओं को समेटते चलता है जिसे निर्देशक ने गंगा किनारे, तराई के आस-पास के घर आंगन और रुद्रप्रयाग के सुंदर होमस्टे के लोकेसन पर रोमांटिक ढंग से प्रस्तुत किया है। आम प्रचलन के नृत्य के बजाय रोमांटिक आलिंगन, बेसब्री से मिलने की दौड़ और भावों से प्रेम प्रदर्शन पर ज्यादा फिल्मांकन किया गया है जो नयेपन के साथ सहज भी लगता है।
‘‘छंयाळुन छ्वीं सरैली होली। तेरा मेरा बारा मं, चर्चा गौं गुठ्यारा मं’’ गीत के सुंदर बोलों के साथ प्रेम कहानी के अगले पड़ाव पर नायिका के खयालों में लौटते नायक सड़क किनारे लुढ़क कर चोटिल होता है। अस्पताल में बेहोशी में बड़बड़ाते आखिर मन का भेद मां के सामने खुलता है तो मां नायिका के घर जाने को तैयार होती है। वहीं उतावला नायक एक चिठ्ठी नायिका के घर फेंक आता है और दूसरे दिन अपनी मां के साथ आ धमकता है।
दोनों पक्ष बस हां-हां करने की रस्म अदायगी करने जुटे हैं कि इतने में नायिका का प्रवेश होता है। नायिका हाथ में पारम्परिक तरीके से चाय-पानी की टेª लेकर प्रकट होने की बजाय ह्वील चियर पर प्रवेश करती है। नायक, मां दोनो स्तब्ध! खिड़की वाली लडकी तो अपाहिज निकली। मां चलने लगती है, नायिका का बाप भी रोकना चाहता है पर… दूसरी तरफ नायक पीछे से नायिका के कंधे पर हाथ रखते रोकता है और आगे आकर हाथों में हाथ देते अपने अटूट प्यार का भरोषा देता है।
‘‘ कनी कनी छ्वीं लगाणां त्वै पता नी, इन उनी बथ बंणांणा त्वै पता नी’’
गीत के बोलों के साथ शादी और घर में प्रवेश के प्रतीकात्मक कलात्मक दृष्यों पर एलबम का समापन होता है।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी नवोदित गायक, नायक और लेखक योगेश सकलानी सशक्त उपस्थिति हर जगह दिखती है। गीत का कथानक और गढवाळी भाषा सहजता उन्हे अलग ही मुकाम दिलायेगी ऐसा विश्वास किया जा सकता है। नायिका के संवेदनशील अभिनय में सोनिया बडोनी ने अपनी प्रतिभा को दर्शाया है वहीं रणजीत सिंह के संगीत निर्देशन ने गीत को कर्ण प्रिय बनाया है।गढ़ गौरब प्रोडक्सन और निर्माता ‘‘एडी ब्रदर्स’’ की इस पहली गढ़वाली एल्बम को 5 दिनों में भले ही चार हजार करीब ब्यू मिले हों पर यू-ट्यूब की पंहुच देखते जल्दी ही इस एल्बम के हिट होने की उम्मीद बंधती है।

(समीक्षक, पिछले 42 सालों से गढ़वाली लोकजीवन के अध्येता लेखन कर रहे हैं।)

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