अच्छी खबर….उत्तर भारत में पहली बार दूरबीन विधि से हुई लीवर सर्जरी

– रायवाला निवासी महिला के लीवर के बांये हिस्से में थी गांठ
– हिमालयन हाॅस्पिटल के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने हासिल की बड़ी सफलता

वैली समाचार, देहरादून।

हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने दूरबीन विधि का इस्तेमाल कर लीवर की सर्जरी करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। डाॅक्टर के अनुसार उत्तराखण्ड सहित पूरे उत्तर भारत में पहली बार इस तरह की सर्जरी हुयी है।
हिमालयन हाॅस्पिटल के हेपेटो पेनक्रियाटिको बिलिरी (एचपीबी) सर्जन डाॅ. मयंक नौटियाल ने बताया कि रायवाला निवासी 40 वर्षीय सरोज देवी उनकी ओपीडी में आयी। महिला ने बताया पिछले तीन माह से उसे पेट में दर्द होने के साथ बुखार की शिकायत रहती है। जिसको उसने कई चिकित्सकों को दिखाया। डाॅ. मयंक ने उनकी पूर्व में की गयी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखी। रिपोर्ट के अनुसार लीवर के बांये हिस्से में गांठ थी। ट्यूमर होने के शक के आधार पर उसकी सीटी स्कैन व पैट स्कैन जांच करायी गयी। जांच में ट्यूमर स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। महिला को पूरी स्थिति से अवगत कराने के बाद वह सर्जरी के लिए तैयार हो गयी। जिसके लिए डाॅ. मयंक नौटियाल के नेतृत्व डाॅ. केएस बेदी, ऋषभ अरोड़ा, सौरभ प्रुथी, ऋषि द्विवेदी, ऐनेस्थेटिक डाॅ पारुल और डाॅ सोनू तोमर की टीम ने दूरबीन विधि से महिला के लीवर का बांया हिस्सा जो कि पूरी तरह खराब हो चुका था, उसे सफलतापूर्वक निकाल दिया। डाॅ. मयंक नौटियाल ने बताया कि निकाली गयी गांठ की बाॅयोप्सी रिपोर्ट में पता चला की लीवर में मवाद की गांठ बनी हुयी थी। जिसने महिला के लीवर का बांया हिस्सा पूरी तरह संक्रमित कर दिया था और इसे निकालना जरूरी था। महिला को तीसरे दिन अस्पताल से छृट्टी भी मिल गयी। हाॅस्पिटल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डाॅ. एसएल जेठानी ने पहली बार हुयी इस तरह की सफल सर्जरी पर पूरी टीम को बधाई दी।

 

दूरबीन विधि से सर्जरी की विशेषता 

डाॅ. मयंक नौटियाल ने बताया कि दूरबीन विधि से सर्जरी दर्दरहित, सुरक्षित, शीघ्र एवं किफायती है । सर्जरी के बाद मरीजों को ठीक होने और काम पर लौटने में कम समय लगता है। इससे मरीजों के अस्पताल में रहने के दिनों में तेजी से कमी आ रही है। किसी भी मेजर सर्जरी के बाद भी मरीज दो या तीन दिन में घर लौट जाता है। इस सर्जरी में बहुत ही सूक्ष्म चीरे लगाए जाते हैं एवं पेट की मांसपेशियों को नहीं काटा जाता है, अतः मरीज जल्दी ही अपनी दैनिक दिनचर्या में लौट जाता है।

 

मरीजों को मिला आयुष्मान का लाभ 

डाॅ. मयंक नौटियाल के अनुसार लीवर की इस तरह की सर्जरी उत्तराखंड सहित पूरे उत्तर भारत में पहली बार हुयी है। हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट में यह सुविधा उपलब्ध होने से मरीजों को अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। पहले इसके लिए मरीजों को दिल्ली का रुख करना पड़ता था। दिल्ली जैसे महानगर में इस सर्जरी पर आने वाला खर्च भी लगभग 8 से 10 लाख रूपये आता है। जबकि हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट में यह सर्जरी आयुष्मान योजना के तहत पूरी तरह निशुल्क की गयी है।

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