पूर्व डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी बने सेवा का अधिकार आयोग के आयुक्त
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड सरकार ने ईमानदार छवि के आईपीएस अफसर पूर्व डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी को सेवा का अधिकार आयोग में बतौर आयुक्त जिम्मेदारी सौंपी है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इसके आदेश कर दिए हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में जनता के अधिकारों से जुड़ी सेवा का समय पर लाभ पहुंचाने को सरकार ने 2011 में सेवा का अधिकार आयोग बनाने का ऐलान किया था। 13 मार्च 2014 को उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग का विधिवत गठन हुआ है। आयोग का उद्देश्य सरकार द्वारा विभागों के माध्यम से दी जा रही सेवाओं को समयसीमा में उपलब्ध कराना। इसके तहत 22 विभागों में 217 सेवाएं अधिसूचित हैं, स्टेट गवर्नमेंट से 117 सेवाएं जल्द जोड़ने की योजना बनाई है। 2019 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सहस्रधारा में सेवा का अधिकार आयोग के स्थायी भवन का शुभारंभ किया था। पूर्व मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन आयोग के पहले मुख्य आयुक्त तैनात किए गए। जबकि पूर्व एसीएस डीएस गबर्याल को आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी गई। वर्तमान में वह प्रभारी मुख्य आयुक्त के पद पर हैं।
पहले आईपीएस बने आयुक्त
राज्य में सेवा का अधिकार आयोग में पूर्व डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी पहले आईपीएस होंगे जो आयुक्त की जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे पहले वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को यहां जिम्मेदारी दी गई। पूर्व डीजीपी की ईमानदार छवि और सादगी से उनको यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। उम्मीद है कि उनके आने से सेवा के अधिकार आयोग से जुड़ी सेवाओं में सुधार होगा।
क्या है सेवा का अधिकार
आम जनता का यह अधिकार कि वह कुछ सार्वजनिक सेवाओ को तय समयावधि में पाने का हक रखती है – ‘सेवा का अधिकार’ कहलाता है। इसके तहत तय समयसीमा में काम का निबटारा करना सम्बंधित अधिकारियों की बाध्यता होती है। समयसीमा के अंदर सेवा नहीं उपलब्ध करानेवाले अधिकारियों के लिए दंड का प्रावधान किया जाता है।