उत्तराखंड में गढ़वाली और कुमाऊंनी व्यंजनों से महकेगी पुलिस की मेस और कैंटीन

गढ़भोज कार्यक्रम से प्रेरित होकर उत्तराखंड के डीजीपी ने जारी किए आदेश

-हर सप्ताह राज्य की मेस से लेकर थाना-चौकी स्तर तक परोसा जाए पहाड़ी भोज 

वैली समाचार, देहरादून। 

उत्तराखंड पुलिस की हर कैन्टीन और मेस में अब हर सप्ताह एक दिन उत्तराखंड भोज यानी गढ़वाली और कुमाऊँनी व्यंजन परोसे जाएंगे। इस सम्बंध में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सभी एसएसपी और एसपी को आदेश जारी कर दिए हैं। डीजीपी का कहना है कि इससे उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही राज्य की स्वयं सेवी संस्था हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी ने कुछ दिन पहले ही 2021 को गढ़भोज वर्ष के रूप के मनाया। इस कार्यक्रम में डीजीपी अशोक कुमार भी बतौर अतिथि शामिल हुए थे। इस दिन डीजीपी ने भरोसा दिया कि वह राज्य पुलिस की सभी कैन्टीन, मेस और गेस्ट हाउस में सप्ताह में एक दिन अनिवार्य रूप से पहाड़ी उत्पाद परोसने के निर्देश देंगे। इस कार्यक्रम को अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ कि डीजीपी अशोक कुमार ने सोमवार को इस सम्बंध में अधीनस्थों को निर्देश जारी कर दिए। डीजीपी के निर्देश पर डीआईजी अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे ने सभी एसपी, एसएसपी, एसएसपी जीआरपी समेत अन्य को पुलिस की मेस, कैंटीन में एक दिन अनिवार्य रूप से पहाड़ी व्यंजन परोसने के आदेश जारी किए हैं।

डीजीपी ने ये दिए निर्देश

डीजीपी ने कहा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी व्यंजन जहां स्वाद में भरपूर हैं वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद लाभकारी माने जाते हैं। यहां की मंडवे की रोटी, कंडाली का साग, फाणू, डुबुक, गहत की दाल, काले भट्ट, झंगोरे की खीर ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनसे पहाड़ की खुशबू आती है। पहाड़ के इन्हीं उत्पादों को मंच देने की ऐसी ही शानदार कोशिश  की जा रही है। डीजीपी ने प्रदेश के सभी जनपद प्रभारियों एवं सेनानायकों को सर्कलुर जारी कर जनपद, इकाई, थाना/चौकियों एवं डिटैचमैन्ट पर चलने वाले भोजनालयों (मैस) में सप्ताह में एक बार उत्तराखण्डी भोजन (गढ़वाली/कुमाऊँनी) बनाये जाने हेतु निर्देशित किया है।

 

 

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ इस तरह की तारीफ

पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को संबोधित पोस्ट में पहाड़ी खानपान पर कुछ इस तरह प्रतिक्रिया दी है। कहा कि…..#बंशीधर_भगत जी कहते हैं कि उत्तराखंडी खान-पान अनाज आदि की बात #हरीश_रावत का नाटक है। बंशीधर जी ये हरीश रावत के नाटक का ही प्रभाव है कि 5 रूपया नाली बिकने वाला मडुआ, आज मडुवे का आटा ₹40 किलो के हिसाब से बिक रहा है, जिस गेठी को लोग जानते नहीं थे, वो गेठी आज ₹60 किलो भी उत्तराखंड के बाजारों में लोगों को मिल नहीं पा रही है और भी बहुत सारे उत्पाद हैं। हमने मडुआ, चौलाई, राजमा, काले भट्ट, मास, इन सबके लिये न्यूनतम खरीद मूल्य के साथ-साथ बोनस की योजना भी शुरू की और आपकी सरकार आयी, आपने बोनस की योजना को समाप्त कर दिया। हमारे समय में वर्ष 2016-17 में मडुवे का रकबा 10 प्रतिशत बढ़ा, जब आप आये तो मडुवे का रकबा आज 12 प्रतिशत घट गया है। आज हमारे ही नाटक का परिणाम है कि एक बहुत समझदार वरिष्ठ #अधिकारी ने अपने विभाग की मैस में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया है, तो माननीय #भगत जी आप द्वारा हमारा कथित नाटक ही लोगों के सोच और जीवन में परिवर्तन ला रहा है, वैसे नाटक तो आप भी अच्छा कर लेते हैं।

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