प्रधानमंत्री की लोकल फ़ॉर वोकल मुहिम से जुड़ेगा गढ़ भोज, सरकार ऐसा देगी बढ़ावा
-विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ रावत ने दिया भरोसा
-डीजीपी बोले, पुलिस की हर कैन्टीन और मेस में एक दिन परोसा जाएगा गढ़ भोज
-सहकारिता से उत्पाद बढ़ाने और बैंक से हर संभव मदद देगी राज्य सरकार
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड का गढ़ भोज हमारी पहचान है। पौष्टिक गुणों से भरपूर हमारे पहाड़ी उत्पाद देश-दुनिया में अलग पहचान रखते हैं। सिर्फ इनको परोसने की जरूरत है। पांच सितारा होटल में इनको हाथोंहाथ लिया जा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकल फ़ॉर वोकल मुहिम में गढ़ भोज को शामिल कर हम राज्य को अलग पहचान दिलाएंगे। गढ़ भोज वर्ष 2021 को लेकर राजपुर रोड स्थित बालिका इंटर कॉलेज में हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के कार्यक्रम में उक्त बातें मुख्य अतिथियों ने कही।
“गढ़ भोज वर्ष2021” के शुभारम्भ मौके पर विधनसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल, उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत , पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये। प्रथम सत्र में पधारे राज्य के शिक्षा मंत्री माननीय डा धन सिंह रावत ने कहा की जाड़ी संस्थान द्वारा शुरू की गई मुहिम राज्य में स्वरोजगार का नया आयाम स्थापित करेगी। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराएगी। स्थानीय समुदाय और लोग इसकी खेती को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने इस प्रयास को सराहनीय प्रयास बताया और कहा कि हमारे सहकारिता या अन्य लाइन डिपार्टमेंट के माध्यम से जो भी सहयोग अभियान को चलाने के लिए चाहिए होगा वह हम अपने स्तर पर प्रदान करेंगे। मंत्री ने सहकारिता के माध्यम से इस मुहिम को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने का भरोसा दिया। ताकि हमारे उत्पादों को पहचान मिल सके।
पुलिस की सभी कैन्टीन में परोसेंगे गढ़भोज
राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि राज्य में गढ़ भोज स्थानीय संसाधनों खाद्य श्रृंखला है। इन उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए पुलिस विभाग ने अभियान के साथ वर्ष 2020 में पूर्व में ही पुलिस विभाग की कैंटीन में शामिल किया था। अब पूरे राज्य की कैन्टीन में इसे लागू करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने संस्था और देहरादून के साथ जो अन्य सहयोगी संगठन हैं इस अभियान में जुड़े हैं उनको साधुवाद दिया।
पीएम के लोकल फ़ॉर वोकल मुहिम का हिस्सा गढ़भोज
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि लॉक डाउन के बाद सैकड़ों प्रवासी घर गांव लौटे हैं। इनके सामने रोजगार का संकट बना हुआ है। ऐसे में पहाड़ी उत्पाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम को भी आगे बढ़ाते हैं। सरकार इस मुहिम को मजबूती से आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों के आधार पर तैयार किये गए भोजन को बाज़ार उपलब्ध हो एवं दैनिक जीवन के व्यवहार में हम इस भोजन को ला सकें इन उद्देश्यों को लेकर संस्थान द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित करना सराहनीय प्रयास है।विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जितनी पौष्टिकता हमारे पारंपरिक भोजन में है इतनी पौष्टिकता पाश्चात्य संस्कृति के जंक फ़ूड में नहीं है। देहरादून में संपन्न हुए देश भर के पीठासीन अधिकारियों के सम्मलेन में हमने उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को परोसा जिसकी देश भर के विधानसभा अध्यक्षों ने भूरी भूरी प्रशंसा की।
राज्य गठन का था ये नारा
उत्तराखंड राज्य का निर्माण “कोदा – झंगोरा खायेंगे, उत्तराखंड राज्य बनायेंगे ” इसी सूत्र वाक्य के साथ हुआ था। इस विचार ने न केवल एक राज्य के विचार को जन्म दिया बल्कि आज उस राज्य की अवाधारानाएं स्थानीय उत्पादकों को प्रयोग में लाने के लिए आवश्यक हो जाती है। वर्ष 2020 कोरोना के नाम से जाना जायेगा वैसे बर्ष 2021 “गढ़ भोज वर्ष के नाम से जाना जायेगा। मिड डे मिल व सभी सरकारी गैर-सरकारी कैन्टीन में सप्ताह के एक दिन आवश्यक रूप से गढ़ भोज परोसा जायेगा।
जन जागरण से आगे बढ़ेगी मुहिम
गढ़ भोज अभियान के सूत्रधार द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की गढ़ भोज वर्ष 2021 के अवसर पर पूरे वर्ष भर जनजागरण के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि गढ़भोज मुहिम को आगे बढ़ाने को स्वरोजगार से जुड़े कार्यक्रम संचालित किए जाए। उन्होंने संस्थान द्वारा गढ़भोज को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रम की जानकारी दी।
ये रहे कार्यक्रम में मौजूद
इस मौके पर रविंद्र मोहन काला, मोहन सिंह रावत गांववासी, पवन नौटियाल, प्रधानाचार्य प्रेमलता बौड़ाई, कार्यकम के सहयोगी जेपी मैठाणी, कुसुम घिल्डियाल, हर्षिल के माधवेन्द्र नेगी, विकास पंत, दिव्यांशु, ,प्रेम पंचोली, टीका राम पंवार, देव सिंह पंवार सुबोधनी जोशी, विजय लक्ष्मी, हिमानी धवन , मीनाक्षी रावत, आशा पंत,सुमन, देवेन्दर , अनिता नेगी, अलका विज्लवाण, नीलम थपलियाल आदि मौजूद