उत्तराखंड के इस पुलिस कप्तान ने खाई कसम, या तो नशा रहेगा या मैं…
वैली समाचार, बागेश्वर।
या तो नशा रहेगा, या फिर मैं..
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उत्तराखंड की काशी बागेश्वर जिले में इस बार नए कप्तान मणिकांत मिश्रा अपनी अनूठी कार्यशैली से काफी चर्चित हो उठे हैं. जिले का कार्यभार संभालते ही उन्होंने नशे के सौदागरों को अपनी कार्यशैली से स्पष्ट संदेश दे दिया है कि, बाबा बागनाथ की इस पवित्र भूमि पर या तो नशा रहेगा या फिर वो. इसके लिए उन्होंने अपने पुलिस महकमे को बखूबी अंदाज से अपने सांथ लिया है. उनका मानना है कि यदि परिवार सुखी रहे तो हर समस्या को बड़ी ही आसानी से सुलझाया जा सकता है, और पुलिस महकमा ही उनका परिवार है.
पुलिस ड्यूटी में चौबीसों घंटे सिर्फ ड्यूटी ही है. ताउम्र उनकी खुद की छुट्टियां भी ड्यूटी की ही भेंट चढ़ जाती हैं. हर अधिकारी अपने रूतबा—रौब के चलते छुट्टियों को कम करने में अपनी शान समझते रहे हैं. कुछेक विरले अधिकारी ही अपवाद होते आए हैं जो पुलिस महकमे को अपना परिवार समझ उनकी परेशानियों को समझते हैं. आईपीएस मणिकांत मिश्रा भी उन सबमें एक अपवाद हैं जो कि छोटे-बड़े कर्मचारियों की परेशानी को जान-समझ उन्हें राहत देकर उनके मनोबल को बढ़ाने में लग समाज को सुधारने की मुहिम में जुटे पड़े हैं. शांत-सरल स्वभाव मिश्राजी मन और कर्म से भी सात्विक विचारधारा के हैं.
उनकी कार्यशैली का इस बात से ही अंदाज लगाया जा सकता है कि, छुट्टी पर घर जा रहे एक जवान ने खुश हो बताया कि, तीस साल की नौकरी में पहली बार एक माह की छुट्टी मिल गई, वो भी ‘ईएल’ अब इससे ज्यादा क्या चाहिए.. ये साहब तो बहुत ही अच्छे हैं..’
बहरहाल! नए कप्तान ने जिले में मादक पदार्थों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया है. समाज के तबके को सांथ लेकर जनजागरूता पोस्टर से चेतना फैलाने के सांथ ही वो खुद नशे के सौदागरों के गढ़ में जाकर ताबड़तोड़ छापेमारी कर नशे को रोकने की पहल कर रहे हैं. अभी तक कप्तान की टीम, भालू की पित्त समेत चरस, स्मैक और शराब की करोड़ों की खेप अपराध में लिप्त अपराधियों समेत पकड़ चुकी है.
कप्तान मणिकांत मिश्रा का कहना है कि जब तक वो यहां रहेंगे उनकी यह मुहिम जारी रहेगी. लेकिन! इस जिले का ये बड़ा दुर्भाग्य है कि जब भी किसी अधिकारी ने समाज हित में काम करना शुरू किया, राजनीतिज्ञों की कुटिल आंखों को वो कभी भी नहीं भाए.
बस दुआ करें कि मणिकांतजी का ये मिशन अनवरत जारी रहे..
लौट आती है हर बार दुआ मेरी खाली,
जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है….
(वरिष्ठ पत्रकार केशव भट्ट की फेसबुक वॉल से)