इस दिवाली में चाइनीज नहीं देशी लड़ियों से जगमगाए घर, सिर्फ ग्रीन आतिशबाजी

-राजधानी देहरादून समेत पहाड़ों में कोरोना के चलते धनतेरस और छोटी दिवाली में नहीं दिखा उत्साह

-घरों में चाइनीज लाइटिंग की जगह लोगों ने सेल्फ-हेल्प ग्रुप की देशी लड़ियों को दी प्राथमिकता

वैली समाचार, देहरादून।

कोरोना काल के बीच दीपों का पर्व दिवाली पर लोगों में ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला। खासकर छोटी दिवाली और धनतेरस का पर्व एक ही दिन पड़ने से भी बाज़ार से घर-गांव तक माहौल शांत नज़र आया। अलबत्ता लोगों ने इस बार चाइनीज लड़ियों का जरूर बहिष्कार कर देशी लड़ियों को तवज्जो दी। देहरादून के प्रेमनगर में एक घर को देशी लड़ियों को इस तरह सजाया गया कि घर की लाइटिंग हर किसी को आकर्षण का केंद्र रही। इसी तरह गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में भी कई घरों में चाइनीज लड़ियों के बीच देशी लड़ियों की रोशन अलग नज़र आई। इसके पीछे सबसे बड़ी बात यह रही कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस बार दिवाली में उपयोग होने वाली लड़ियों से लेकर मिट्टी के आकर्षक दीपक, फूल-मालाओं की वस्तुएं बाज़ार में उतारी गई। बड़ी संख्या में पहली बार दीवाली में लोगों के बीच हैंडमेड (स्थानीय स्तर पर तैयार उत्पाद) उत्पाद नज़र आए।

दिवाली पर सिर्फ लाइटिंग पर रहा जोर

कोरोना काल के चलते लोगों ने डॉक्टरों और पर्यावरण विदों के सुझाव का भी सम्मान किया। खासकर प्रदूषण से कोरोना का खतरा बढ़ने पर लोगों ने दिवाली का जश्न सादगी से मनाया। छोटी दिवाली और धनतेरस पर्व से एक सप्ताह पहले से आतिशबाजी की धूमधड़ाक इस बार नज़र नहीं आई। ठेठ गांव, कस्बों से लेकर शहरी क्षेत्रों में भी छोटी दिवाली को सादगी से मनाया गया।

ग्रीन पटाखों की दिखी मांग

बाज़ार में इस बार ग्रीन पटाखों(आतिशबाजी) को लेकर लोगों की मांग रही। खासकर फुलझड़ियों, अनार, चकरी जैसी आतिशबाजी को लोगों  ने प्राथमिकता में रखा। हालांकि बाज़ार में आतिशबाजी का सामान बेचने वाले ग्रीन पटाखों को लेकर संशय में रहे।

 

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