औद्यानिकी विपणन बोर्ड से धनराशि अवमुक्त में देरी पर कृषि मंत्री नाराज, आराकोट में कोल्ड स्टोर और चायबागान योजना में तेजी लाने के निर्देश

-कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने प्राथमिकता के कार्यो और योजनाओं की समीक्षा की

वैली समाचार, देहरादून।

उत्तराखंड के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने सचिवालय में विभाग की प्राथमिकता के कार्यो और योजनाओं की समीक्षा की गई। इस दौरान विभाग में किये जा रहे कार्यों की प्रगति की सविस्तार जानकारी ली गई। औद्यानिकी विपणन बोर्ड से अवमुुक्त होने वाली 4 करोड़ धनराशि में देरी पर नाराजगी जाहिर की गई। इसमें तेजी लाने के निर्देश दिए गए।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बैठक में क्रमवार तरीके से सर्वप्रथम कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्बन्धित प्रकरण में आवश्यक निर्देश दिये गये। कहा कि पूर्व में यह निर्णीत हुआ था कि नौथा ऐग्रो कलस्टर के प्रारम्भिक कार्यों के लिए रू 0 4.00 करोड़ की धनराशि औद्यानिकी विपणन बोर्ड से अवमुक्त की जायेगी । इसमें विलम्ब पर मंत्री ने अप्रसन्नता व्यक्त की गई एवं तत्काल धनराशि अवमुक्त किये जाने के निर्देश दिए। बैठक में प्रसंस्करण नीति के तहत नवीकरण ( Refurbish Machinery ) मशीन को अनुमति पर राज्य सरकार का मत स्थिर है । पर्वतीय क्षेत्रों में इससे प्रसंस्करण इकाईयां आकर्षित हो सकेंगी । कहा कि औद्यानिकी / कृषि के फल / फसलों को ओलावृष्टि से बचाव के उद्देश्य से काश्तकारों को बेहतर तरीके से आच्छादन एवं मधु – उत्पादन के एकाधिक मामलों में वित्त विभाग से समन्वयन का निर्देशन किया गया । राज्य में नाबार्ड के सहयोग से संचालित कार्यों / योजनाओं के तहत आराकोट में शीतायन गृह व चाय विकास योजना की समीक्षा करने पर इन्हें त्वरित गति से आगे बढायें जाने के मंत्री ने निर्देश दिये । नाबार्ड की ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि ( RIDF ) में अधिक से अधिक संयत प्रस्ताव गठित कर योजनाओं का लाभ उठाये जाने पर सहमति कायम हुई । नाबार्ड की कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र के लिए आकर्षक योजनाएं है । साथ ही ग्रामीण परिवेश में हाट बाजार की आवश्यकता का परीक्षण जिले के कृषि व उद्यान विभाग से कराये जाने का निर्देश दिया गया है । बैठक में  मंत्री ने कृषि औद्यानिकी से जुड़े विभाग को सर्वाधिक राहत देने वाला विभाग बताते हुए इसकी सार्थकता को दर्शाया । कोरोना संक्रमण काल में इस क्षेत्र से ही सर्वप्रथम छूट का सिलसिला प्रारम्भ हुआ था । कृषक हित में लाये गये बिलों से किसान बिरादरी को दीर्घकालिक लाभ मिलने की उम्मीद जताई गई ।

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