शहीद राजेंद्र सिंह नेगी की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, पाकिस्तान सीमा पर हुए थे शहीद
-पाकिस्तान सीमा पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे हवलदार राजेंद्र नेगी
-सेना ने सात माह तक खोजबीन कर 15 अगस्त को गुलमर्ग में बरामद की पार्थिव शरीर
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड का एक और लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। सरहद पर बर्फीले इलाके में ड्यूटी करते वक्त हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी पाकिस्तान की तरफ लापता हो गए थे। पूरे सात माह तक सेना अपने वीर सैनिक और परिजन अपने बेटे के अंतिम दर्शन को तरसते रहे। 15 अगस्त को हवलदार का पार्थिव शरीर मिलने के बाद सेना और परिजनों की मुराद पूरी हुई। आज देहरादून स्थित हवलदार के घर पर अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी की अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ा। देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले जांबाज को लोगों ने नम आंखों से विदाई दी। सीएम त्रिवेंद्र रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और व्यापारिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शहीद को पुष्प चक्र अर्पित कर अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
सैनिक कॉलोनी, अंबीवाला निवासी 11वीं गढ़वाल राइफल्स के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी मूल रूप से चमोली जिले के पंजियाणा गांव के निवासी थे। वे बीती आठ जनवरी को पाकिस्तान सीमा पर लापता हो गए थे। खोजबीन के बाद भी जब पता नहीं चला तो सेना ने मई महीने में उनको शहीद घोषित किया। 15 अगस्त को उनका पार्थिव शरीर गुलमर्ग की घाटियों में मिला। गुरुवार सुबह सात बजे पार्थिव शरीर को एमएच गढ़ीकैंट से उनके अंबीवाला की सैनिक कॉलोनी स्थित आवास पर लाया गया। यहां सबसे पहले पत्नी राजेश्वरी देवी, पिता रतन सिंह, मां भागा देवी और शहीद के बच्चों ने ताबूत के अंदर तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर के दर्शन किए। पति के दर्शन करते हुए पत्नी बेहोश हो गए। मां भागा देवी भी अपने को संभाल नहीं पाई। पिता की आंखों में आंसू छलक गए। बच्चे पिता को निहारते रहे। लोगों ने किसी तरह शहीद के परिजनों को ढांढस बंधवाया। इसके बाद सेना के अधिकारी और विभिन्न राजनीति, सामाजिक और व्यापारिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सवा नौ बजे सीएम त्रिवेंद्र रावत ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद हरिद्वार के लिए अंतिम यात्रा निकली।