उत्तराखंड में खेल संघों के खेल पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब, केंद्र समेत 12 को नोटिस
-राज्य में खेल संघों के नाम पर चल रही दुकानों को लेकर उठ रहे सवाल
-यूपी के सरकारी कर्मचारी को उत्तराखंड में खेल संघ पदाधिकारी बनाने पर सवाल
-एक परिवार और नाते-रिश्तेदारों को खेल संघ में बनाया गया पदाधिकारी
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खेलों से जुड़ी एक अलग किस्म की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की है। कोर्ट ने गोपेश्वर निवासी कीर्ति विजय रावत की याचिका पर उत्तर प्रदेश के एक सरकारी अध्यापक को उत्तराखंड में दो खेल संघों में पद पर बने रहने की वैधता पूछी है। आरोप यह है कि उत्तर प्रदेश निवासी विरेश यादव लंबे समय से उत्तराखंड में खो-खो और तलवारबाजी संघ में पदाधिकारी तथा अन्य पद पर बने हुए हैं।
इस मामले में कीर्ति विजय रावत की तरफ से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। कीर्तिविजय के अधिवक्ता अभिजय नेगी का कहना है कि भारतीय ओलंपिक संघ का संविधान देश में खेलों के लिए एक मानक के रूप में कार्य करता हैा भारतीय ओलंपिक संघ का संविधान यह कहता है कि राज्य ओलंपिक संघ में राज्य के निवासी ही पद ग्रहण कर सकते हैं, तभी वह खेलों को बढावा दे सकते है। इसके अलावा यही संविधान किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक खेल संघों में सदस्य बनने की इजाजत भी नहीं देता। भारत में खेल संंघों में पारदर्शिता को लेकर लगातार प्रश्न उठे हैं। यह मामला अभी भी गर्म है। हाल में ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ को जमकर फटकार लगाई और पारदर्शिता को लेकर 2011 में अपनाए गए राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के पालन में बरती जा रही ढिलाई को लेकर आगामी 21 अग्स्त को 25 बिंदुओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। वहीं यहां उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कीर्ति विजय की याचिका पर अपने 8 अगस्त के आदेश पर आज इस केस से संबंधित पार्टियों को नोटिस भेज दिया है। याचिकाकर्ता ने उम्मीद जताई है कि सूबे में खेलों का संचालन पारदर्शिता से अब हो सकेगा और दिल्ली में अपनी सेटिंग बैठाने के लिए उत्तराखण्ड का इस्तेमाल अब बन्द होगा।
खेल संघों के बड़े गिरोह पर कब होगी कार्रवाई
उत्तराखंड में कुछ खास लोग गिरोह बनकर खेल संघों का संचालन कर रहे हैं। इनमें से कई सांठगांठ कर नेशनल स्तर तक पहुंच गये हैं। नेशनल स्पोर्ट्स कोड समेत तमाम कायदे कानून को दरकिनार कर संघों का संचालन और पदाधिकारी बने हुए हैं। इन संघों में कुछ तथाकथित चर्चित लोग भी शामिल है।