उत्तराखंड में हेली एम्बुलेंस से मिलेगा गंभीर रोगियों को जीवनदान, तीन साल में 100 की बची जान

-एम्स ऋषिकेश में पहली हेली एम्बुलेंस का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह राहत ने किया शुभारंभ

-अब राज्य के गंभीर और दुर्घटना में घायल मरीजों को तत्काल मिलेगा इलाज

वैली समाचार, ऋषिकेश।

उत्तराखंड में पहली हेली एम्बुलेंस के लिए एम्स में हेलीपैड का आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुभारंभ किया। कहा कि एम्स में हेली एम्बुलेंस सुविधा होने से गंभीर और दुघर्टना में घायल मरीजों को तत्काल इलाज मिलेगा। इससे कई लोगों की जान बच जाएगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के नव निर्मित हेलीपैड का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश परिसर में हेलीपैड बनने से गंभीर रोगियों एवं दुर्घटना होने पर घायलों को हेली सेवा से अस्पताल लाने में सुविधा होगी। एम्स ऋषिकेष में इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। हेली से उतरने के बाद मरीज को मात्र 09 मिनट में एम्बुलेंस से ट्रामा सेंटर तक पहुंचने की व्यवस्था रहेगी। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियां अलग है। अतिवृष्टि होने पर राज्य में आपदायें अधिक होती हैं। पहाड़ी टेरिन होने से दुर्घटनाएं भी अधिक होती है। दुर्घटना होने पर लोगों को हेली सेवा से उपचार के लिए जल्द एम्स लाने में सुविधा होगी।

तीन साल में 100 की बचाई जान 

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले 03 सालों में प्रदेश में 100 से अधिक लोगों की जान हेली सेवा से सीधे अस्पतालों में लाकर बचाई गई। इसके लिए सरकारी हेलीकाॅप्टर एवं किराये पर हेलीकाॅप्टर की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा संस्थान है, जहां परिसर के अन्दर हेलीपैड की सुविधा है।

 

कोरोना मरीजों का ध्यान रखें डॉक्टर

मुख्यमंत्री ने एम्स के डाॅक्टरों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में सीनियर डाॅक्टर कोरोना के मरीजों का विशेष ध्यान रखें। जिस तरह कोरोना अपना स्वरूप बदल रहा है, यह चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रशासन, पुलिस एवं डाॅक्टरों के आपसी तालमेल से समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकता है। कोरोना काल में आशा, आंगनबाड़ी, नर्स एवं डाॅक्टर और स्वच्छता कर्मचारी जो ग्राउण्ड लेबल पर कार्य कर रहे हैं, वे जनता के लिए देवदूत के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों को परीक्षण के साथ ही मनोवैज्ञानिक तरीके से भी मजबूत रखना जरूरी है।एम्स ऋषिकेश की पहुंच दुर्गम स्थानों के मराजों तक होनी चाहिए। सेवा सार्थक तभी होती है, जब सेवा गरीबों तक पहुंचे।

 

डॉक्टरों ने मॉक ड्रिल किया

इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों ने हेलीसेवा से मरीज को लाने एवं एम्बुलेंस से ट्रामा सेंटर तक ले जाने की पूरी प्रक्रिया का माॅक ड्रिल भी किया। बताया गया कि अब राज्य के किसी भी कोने से गम्भीर मरीज को हेली एम्बुलेंस से एम्स लाया जा सकेगा।

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