उत्तराखंड में 28 प्रजाति की जड़ीबूटी की खेती पर मिलेगा 50 फीसद अनुदान
-कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा
-स्वरोजगार और आर्थिक सुधार में मील का पत्थर साबित होंगी योजना
वैली समाचार, देहरादून।
उत्तराखंड में जड़ी-बूटी और सगन्ध पौधों की खेती पर सरकार ने अनुदान का पुनर्निर्धारण कर लिया है। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने गांव कस्बों में 28 प्रजाति की जड़ीबूटी और सगन्ध पौधों को अनुदान में शामिल करने की सहमति दे दी है। इससे लॉक डाउन में रोजगार छीनने के बाद गांव लौटे युवक रोजगार के साथ आर्थिक सुधार में नई क्रांति ला सकते हैं
राज्य सरकार ने जड़ी – बूटी एवं सगन्ध पौधों के कृषिकरण हेतु राजसहायता का पुर्न निर्धारण कर दिया गया है । इस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री ( कृषि, उद्यान व रेशम ) सुबोध उनियाल ने स्वीकृति दे दी है। योजना के तहत वर्तमान में 28 प्रजातियों को कृषिकरण पर अनुदान के लिए सम्मिलित किया गया है । इसमें सगन्ध घासें ( लेमनग्रास , सिट्रोनला , पामारोजा , खस आदि ) डेमस्क गुलाब जिरेनियम , कालाजीरा , तेजपात एवं तिमूर , चन्दन , मिन्ट (जापानी मिन्ट ) जैसी प्रजातियां शामिल हैं।कृषिकरण पर लागत का 50 प्रतिशत के समान राजसहायता का प्राविधान है । इस वर्ष से किसानों को दी जाने वाली राज सहायता का पुर्ननिर्धारण कर दिया गया है ।
15 साल बाद हुआ बदलाव
अब तक वर्ष 2005 की उत्पादन लागत के अनुसार अनुदान राशि की गणना की जा रही थी । वर्तमान में महंगाई एवं कृषिकरण कार्यो की लागत में वृद्धि को मददेनजर रखते हुए राजसहायता के निर्धारित किया गया है । उदाहरण के तौर पर सगन्ध चास प्रजाति में पौध संख्या प्रति नाली 550 रुपये राज सहायता को अब 1000 रुपये पौध संख्या प्रति नाली एवं डेमस्क गुलाब की खेती में पौध संख्या प्रति नाली 200 का मानक 88 पौध संख्या प्रति नाली कर दिया गया है । इसी तरह गुणवत्ता परीक्षण शुल्क पर 50 फीसद छूट का प्राविधान किया गया है । योजनान्तर्गत अधिकाधिक किसानों को लाभान्वित कराये जाने के निर्देश गये हैं । साथ ही पंजीकृत किसान के मध्य प्रतिवर्ष अलग – अलग किसानों को योजना से आच्छादित किया जाना है । अनुदान की अधिकतम सीमा 1.00 लाख या 2 हेक्टेयर पर पौध की लागत जो भी न्यून हो , अनुमन्य होगा ।