प्रधानों को चवन्नी भी नहीं मिली और मंत्री ने दे दिया पर्याप्त बजट का बयान
-गांव में क्वारंटाइन की व्यवस्था संभाल रहे प्रधानों ने जताई नाराजगी, लोग करने लगे बदनाम
-प्रधान संगठन बोले, मंत्री के बयान से प्रधानों पर लग रहा बजट हड़पने जैसे आरोप
-पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सरकार की छवि हो रही धूमिल, बयान बदलो या बजट दो
वैली समाचार, उत्तरकाशी ।
उत्तराखंड में प्रवासियों के लिए गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। पहले प्रवासियों के नियम तोड़ने और अब बजट को लेकर प्रधानों में सरकार के प्रति खासी नाराजगी देखी जा रही है। खासकर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के उस बयान का प्रधानों ने विरोध किया, जिसमें मंत्री ने प्रधानों को पर्याप्त बजट देने का दावा किया है। प्रधान संगठन उत्तरकाशी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजते हुए कहा कि अभी तक प्रधानों को सरकार की तरफ से चवन्नी भी बजट नहीं मिला है। उलटा वह अपनी वेतन का 15 लाख राहत कोष में जमा करा गए हैं। ऐसे में मंत्री के पर्याप्त बजट वाले बयान से सरकार की साख और प्रधानों की छवि धूमिल हो रही है।
प्रदेश में फैल रहे कोरोना वायरस के बचाव और देशभर से अपने घर- गांव लौट रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन की जिम्मेदारी सरकार ने ग्राम पंचायतों को दी है। ग्राम पंचायतेें इस काम को बखूबी निभा रहे हैं। अपनी जेब से पैसा खर्च कर व्यवस्था बना रहे हैं। इस बीच प्रधानों को कई कठनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। स्थानीय स्तर पर सरकारी मशीनरी भी क्वारंटाइन सेंटर की पूरी जिम्मेदारी प्रधानों पर छोड़ रही है। बिना बजट के प्रधान दिनरात दौड़ भाग कर रहे हैं। लेकिन बीते दिन सूबे के काबीना मंत्री और सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने मीडिया में बयान दिया कि प्रवासियों की व्यवस्था के लिए प्रधानों को पर्याप्त बजट दिया है। जबकि हकीकत में प्रधानों को किसी भी तरह का बजट नहीं मिला है। मंत्री के इस बयान की निंदा करते हुए प्रधानों ने गैर जिमेदारान बयान बताया। इस बयान को लेकर ग्राम प्रधानों में रोष ब्याप्त है। बिकास खंड पुरोला, मोरी, नौगांव, चिन्यालीसौड़, भटवाड़ी, डुंडा में ग्राम प्रधान संघ की कार्यकारिणी ने इस बयान की घोर निंदा की है। ब्लाक स्तर पर उच्चाधिकारियों के मार्फत मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। प्रधान संगठन उत्तरकाशी ने मंत्री के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री को एक पत्र प्रेषित किया। संगठन के जिलाध्यक्ष प्रताप रावत ने कहा कि सरकार ने ग्राम पंचायतो को अभी तक किसी भी प्रकार का बजट नही दिया है, इस प्रकार के बयान से ग्राम प्रधानों को ठेस पहुंची है। इससे गांव का माहौल बिगड़ रहा है। कुछ असामाजिक तत्व इस बात को भी हवा दे रहे कि प्रधान पैसा डकार गए। महामारी में पूरा संगठन सरकार के साथ खड़ा है। लेकिन गलत बयान से प्रधानों में रोष व्याप्त है।
अभी तक नहीं मिले 10हजार रुपये
सरकार ने गत दिवस एक आदेश जारी कर कहा कि प्रत्येक गांव के प्रधान को 10-10 हजार रुपये कोरोना से निपटने को दिए जाएंगे। यह पैसा डीएम के मार्फ़त मुख्यमंत्री राहत कोष से दिया जाना था। लेकिन यह बजट भी अभी तक नही मिला।