गंगा और यमुना धाम में विराजी, बाबा केदार की उत्सव डोली ओंकारेश्वर से रवाना

अक्षय तृतीया के शुभ मुहर्त पर 12:35 बजे गंगोत्री और 12:41 बजे यमुनोत्री के कपाट खुले

-कपाट खुलने पर गिनती के तीर्थ पुरोहित रहे मौजूद, बारिश से उठानी पड़ी मुश्किलें

-केदारबाबा की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली आज गौरीकुंड में करेगी विश्राम

देहरादून। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट कोरोना संक्रमण के बीच सादगी के साथ दर्शन को खुल गए हैं। कपाट खुलते ही गंगा और यमुना की भोग मूर्ति गर्भगृह में विराजमान हो गई है। अब छह माह तक गंगा और यमुना के दर्शन धामों में होंगे। इधर, बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली ओंकारेश्वर से केदारनाथ के लिए रवाना हो गई है। डोली यात्रा रात को मुख्य पड़ाव मां भगवती गौरी के मंदिर गौरीकुंड में पहुंचेगी।

देश और दुनिया में कोरोना संक्रमण का असर उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर भी बुरी तरह पड़ा है। यही कारण रहा कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने पर धाम में सन्नाटा छाया रहा। गिनती के नाम पर 21 लोगों को डोली यात्रा में जाने की अनुमति दी गई। कोरोना के बीच बारिश ने भी डोली यात्रा की रंगत खराब कर दी। गंगोत्री धाम के लिए गंगा की भोग मूर्ति शनिवार शाम को भैरव मंदिर भैरों घाटी पहुंच गई थी। बाबा भैरवनाथ की पूजा के बाद रविवार सुबह डोली धाम को चली। इए दौरान खराब सड़क से डोली धाम पहुंची। जहां सन्नाटे के बीच डोली मंदिर परिसर में पहुंची। इस दौरान जरूरी औपचारिकता के बाद डोली को पूजा-अर्चना और गंगा स्नान के बाद मंदिर में ले गई। जहां गंगा सहस्रनाम पाठ और आरती के बाद कपाट खोले गया। श्री गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर ठीक 12:35 बजे कपाट खोले गए। इसके बाद अखण्ड ज्योति के दर्शन करने के बाद डोली से भोग मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान की गई। इसके बाद यात्रा में शामिल लोगों ने पूजा अर्चना कर कोरोना से लड़ने की कामना की।

शनि देव की मौजूदगी में धाम पहुंची यमुना

यम पुत्री यमुना की उत्सव डोली भी खरशाली से रविवार को यमुनोत्री को रवाना हुई। इस दौरान भाई शनि देव भी यमुना के साथ यमुनोत्री पहुंचे। छह किमी की पैदल यात्रा 12 बजे धाम पहुंची। जहां बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बीच यमुना की भोग मूर्ति को शुभ मुहूर्त पर ठीक 12:41 बजे मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया। इसके बाद यमुना के साथ धाम पहुंचे तीर्थ पुरोहित और सरकारी मशीनरी के लोगों ने पूजा अर्चना की। कपाट खुलने के बाद धाम में बर्फिली ठंड के बीच अब छह माह पूजा होगी। यमुना को धाम पहुंचाने के बाद शनिदेव की डोली खरशाली स्थित शनि मंदिर वापस पहुंचेगी।

पंचमुखी बाबा केदार की डोली पहली बार गाड़ी से रवाना

बाबा केदारनाथ की डोली इतिहास में पहलीबार गाड़ी में सवार होकर धाम के लिए रवाना हुई है। इनसे पहले डोली ओंकारेश्वर मंदिर से कई गांव होते हुए पैदल पहुंचती थी। लेकिन इन बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए केदारबाबा की डोली विशेष वाहन में विराजमान की गई। इसके बाद सादगी के साथ गिनेचुने तीर्थ पुरोहितों के साथ रवाना हुई। डोली वाहन से प्रथम रात्रि प्रवास के लिए केदारनाथ यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ाव मां भगवती गौरी के मंदिर गौरीकुंड पहुंचेगी। बाबा केदार की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली गौरामाई मंदिर गौरीकुण्ड में पहुंचेगी और वहीं पर रात्रि निवास करेगी। यहां से द्वितीय रात्रि प्रवास 27 अप्रैल को भीमबली मे करेगी तथा 28 अप्रैल को उत्सव डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। जहां अगले दिन यानी 29 अप्रैल को प्रात 6 बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न मे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जायेंगे। इसके बाद बाबा केदारनाथ के दर्शन शुरू हो जाएंगे।

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