केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग पहुंचे ऊखीमठ, बदरीनाथ के 21 को पहुंचेंगे जोशीमठ

लॉक डाउन के चलते रावल के न पहुंचने स्व बनी थी संशय की स्थिति

-29 को केदारनाथ और 30 अप्रैल को खुलेंगे भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट

-गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीय यानि 26 अप्रैल को खुलेंगे

देहरादून। चारधाम के कपाट अब तय मुहर्त और मंदिरों के रावलों की मौजूदगी में खुलेंगे। रविवार को केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ऊखीमठ पहुंच गए। इधर, केदारनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद लंबूदरी केरल से चल दिए हैं। वह 21 अप्रैल तक जोशीमठ पहुंच जाएंगे औऱ 25 अप्रैल को होने वाले तिमुंड्या वीर के उत्सव में शामिल होंगे। इसके अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने कपाट खोलने को लेकर जरूरी तैयारी शुरू कर दी है

कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉक डाउन चल रहा है। इससे चारधाम यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। चार धाम यात्रा पर आने वालों ने एडवांस बुकिंग निरस्त करनी शुरू कर दी है। इस बीच लॉक डाउन के चलते केदारनाथ और बदरीनाथ के रावलों के समय पर पहुंचने को लेकर भी संशय बना था। रावलों के समय पर न पहुंचने के कारण सरकार और बदरीनाथ-केदार मंदिर समिति वैकल्पिक व्यवस्था में जुटी थी। मगर, रविवार को केदारनाथ धाम की कपाट पूजा के लिए रावल भीमाशंकर लिंग अपने सेवादारों के साथ उत्तराखंड पहुंच गए हैं। रावल सड़क मार्ग से सीधे शीतकालीन निवास ऊखीमठ पहुंच गए। उनके साथ सेवादार भी पहुंच गए हैं। इस दौरान प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर उनका हाल जाना। इसके साथ ही रावल समेत सभी पांच सेवादारों को होम क्वारंटीन कर दिया है। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल के अनुसार सभी लोगों को अलग-अलग कमरों में क्वारंटीन किया गया है। यहां पहुंचने पर सभी का मेडिकल परीक्षण भी किया गया। जबकि अपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में भी रावल कई दिनों से अपने सेवकों के साथ एकांत वास में रहे। वहांं से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ।
रावल ने कहा कि,  वे 2 दिन में 2000 किलोमीटर गाड़ी से चलकर ऊखीमठ पंहुचे है । वे केदारनाथ के 324 वें रावल हैं । उनका कहना है कि ,” धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी जान की भी परवाह भी नही करेंगे।” उल्लेखनीय है कि  केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खुलने हैं।इससे पहले बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से धाम के लिए प्रस्थान करेगी। रावल भी डोली के साथ ही धाम के लिए रवाना होंगे।

 

 

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