लॉक डाउन के बाद सड़कें सुनसान, रात के अंधेरे में ड्यूटी आने-जाने में लगता डर
देहरादून। लॉक डाउन के बाद शहर की सड़कें रात तो रात दिन में भी डरवानी लग रही है। यही कारण है कि कोरोना के इलाज और दूसरे अस्पतालों में ड्यूटी दे रही महिला स्वास्थ्य कर्मियों को ड्यूटी आने और घर जाने में डर लग रही है। अब महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने दबी जुबान में रात्रि ड्यूटी के समय अपने लिए सुरक्षित वाहन की व्यवस्था कराने की मांग उठाई है।
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राजधानी देहरादून में दून अस्पताल, महंत इन्द्रेश अस्पताल समेत कई नर्सिंग होम में महिला स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना के लॉक डाउन के बीच ड्यूटी दे रही है। 14 अप्रैल तक शहर में पैदल और वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। ऐसे में अस्पतालों में तैनात महिला स्टाफ प्रेमनगर, रायपुर, मोहकमपुर, बंजारावाला, पटेलनगर, क्लेमनटाउन, गढ़ी कैन्ट आदि इलाकों से अस्पतालों तक आवाजाही कर रही हैं। दिन में तो पैदल और अपने संसाधनों से जा रही हैं, लेकिन रात को अंधेरे के ड्यूटी आने और जाने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। रात को अंधेरे के कई नर्सिंग स्टाफ लम्बी दूरी स्कूटी या पैदल आवाजाही कर रही है। इस दौरान उन्हें सुनसान सड़कों पर डर लग रहा है। नर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल प्रबंधन से मांग की कि रात के अंधेरे में आवाजाही कराने के लिए वाहनों की उचित व्यवस्था की जाए। ताकि उन्हें रात को ड्यूटी आने और घर जाने में परेशानी न उठाने पड़े। सीनियर नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि उन्हें रात को बड़ी परेशानी हो रही है। खासकर जो नर्सेज स्टाफ रात को ड्यूटी पर जाते आते हैं, उन्हें ज्यादा दिक्कत उठानी पड़ रही है। देर रात घर जाने में और रात को घर से आने में अकेले आने में डर लगता है क्योंकि पूरी रोड खाली होती हैं उनके आने जाने की भी तो कुछ व्यवस्था होनी चाहिए।