आरबीआई: लोन की किश्त देने में तीन माह की छूट, कर्ज को किया सस्ता

-लॉकडाउन के बीच आरबीआई ने भी किया बड़े पैकेज का ऐलान

-लोन का रेपो रेट 0.75% तक किया गया कम, अब कर्ज लेना होगा सस्ते

-टर्म लोन की किश्त नहीं चुकाने पर डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा लोन लेने वाला

मुंबई/देहरादून। कोरोनावायरस संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन के बीच आरबीआई ने राहतभरी खबर दी है। आरबीआई ने कहा कि लॉक डाउन की वजह से लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए लोन के भुगतान में राहत देने का निर्णय लिया गया है। अब सभी तरह के लोन लेने वालों को टर्म लोन की किश्त के भुगतान में तीन महीने की राहत दी गई है। रेपो रेट में भी 0.75% कमी की गई है। इससे सभी तरह के लोन सस्ते होंगे।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिदत्त दास ने मुंबई में मीडिया को जानकारी दी कि लॉक डाउन से देश के हर नागरिक को आर्थिक नुकसान हुआ है। ऐसे में आरबीआई ने मुसीबत की घड़ी में नागरिकों की मदद का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट कम होने से कर्ज सस्ते होंगे। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा तो वे ग्राहकों के लिए भी रेट घटाएंगे। रेपो रेट पहले 5.15% था, अब 4.40% रह गया है।

 

आरबीआई के 5 बड़े कदम-
1. रेपो रेट में 0.75% कमी
असर : सभी कर्ज सस्ते होंगे
2. टर्म लोन की किश्त चुकाने में तीन महीने की छूट
असर: ग्राहकों और बैंकों को राहत मिलेगी
3. वर्किंग कैपिटल पर ब्याज का भुगतान तीन महीने टाला
असर: कंपनियों को राहत मिलेगी
4. कैश रिजर्व रेश्यो 1% घटाया
असर : बैंकों के पास ज्यादा कैश रहेगा
5. आरबीआई के फैसलों से सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ेगी

 

ईएमआई में तीन महीने की छूट के मायने क्या हैं ?

ईएमआई पेमेंट में छूट का मतलब यह नहीं कि आपको कभी बकाया भुगतान नहीं करना पड़ेगा। बस तीन महीने टाल सकते हैं, बाद में भुगतान करना होगा। यह कदम इस मकसद से उठाया गया है कि लॉकडाउन की वजह से जिनके पास वाकई नकदी की कमी होती है तो उन्हें कर्ज के भुगतान में कुछ समय मिल जाए। विशेषज्ञों की राय है कि वेतनभोगी या जिनके पास पर्याप्त नकदी है उन्हें ईएमआई समय पर ही चुकानी चाहिए, नहीं तो उन पर ही बोझ बढ़ेगा।आरबीआई ने स्पष्ट कहा कि छूट का मतलब ये नहीं कि ईएमआई जमा नहीं करनी बल्कि तीन माह तक ईएमआई जमा करने में छूट मिलेगी। इस दौरान कोई ब्याज या दूसरा जुर्माना नहीं लगेगा। लोन लेने वाले की शाख पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके बाद डिफॉल्टर नहीं किया जाएगा।

 

फैसले से ये होगा फायदा होगा

आम आदमी को : नकदी की कमी की वजह से तीन महीने तक लोन की किश्त नहीं चुका पाएंगे तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।

छोटीकंपनियों को : वर्किंग कैपिटल लोन के ब्याज भुगतान में तीन महीने की राहत मिल जाएगी। क्रेडिट हिस्ट्री पर भी असर नहीं पड़ेगा।

बैंकों को : कोरोनावायरस की वजह से अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आशंका थी कि कई ग्राहक डिफॉल्ट कर सकते हैं। इससे बैंकों का एनपीए बढ़ता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कर्ज का भुगतान नहीं आने से बैंकों के पास कैश की कमी नहीं हो, इसके लिए नकदी बढ़ाने के उपाय भी किए गए हैं।

 

सरकार ने  1.70 लाख करोड़ का पैकेज दिया

सरकार ने भी गुरुवार को 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसमें गरीब, किसान, मजदूर, महिला, बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों को राहत के ऐलान किए गए थे। कोरोनावायरस की वजह से देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। इससे अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

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